For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ तुम हो कितनी महान

माँ
गहरी सागर सी
ऊँची अनन्त सी
घुली पवन में
सुगंध सी
माँ!
हृदय तुम्हारा
कोमल फूलों सा
मिश्री सी वाणीं
लोरी, परियों की कहानी
माँ!
सुन्दर इतनी कि
अप्सराएँ शर्माएँ
आँचल में तुम्हारे
सागर ममता का
लहराये
महानता में ईश्वर भी
पीछे रह जाए
माँ!
स्पर्श में तुम्हारे
मिलता असीम सुख
हृदय से लग के
मिटता संताप, दुःख
माँ!
 तुम मेरी शक्ति
आत्मविश्वास,
श्रोत प्रेरणा की
मेरी पथप्रदर्शक
माँ!
तुम हो मेरे लिए
शक्ति का वरदान
चरणों में तुम्हारे
बारम्बार प्रणाम
तुम ही तो हो
मेरी भगवान!
माँ!
तुम हो कितनी महान ||


मीना पाठक 

मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on October 6, 2013 at 9:32pm

माँ को समर्पित बहुत ही सुन्दर रचना! माँ शारदे आपके ऊपर अपनी कृपा बनाये रखें!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 6, 2013 at 8:17pm

माँ के सम्मान में एक बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Meena Pathak on October 6, 2013 at 5:14pm

हार्दिक आभार स्वीकारें आदरणीय अनुराग जी 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 6, 2013 at 3:54pm

माँ की अनुपम महिमा का जो गान आपने प्रस्तुत  किया है उसके लिए आप बधाई की सच्ची हक़दार है ! हार्दिक शुभ कामनाये इस सुंदर रचना पर !

Comment by Meena Pathak on October 6, 2013 at 3:15pm

आदरणीय अभिनव अरुन जी बहुत बहुत आभार स्वीकारें, आप सब की टिप्णियाँ मेरे लिए किसी खजाने से कम नही | बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on October 6, 2013 at 3:12pm

सही कहा आप ने आदरणीय सुशील जोशी जी | आभार स्वीकारें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2013 at 3:12pm

आदरणीय मीना जी , माँ को परिभाषित करती आपकी रच्ना बहुत सुन्दर लगी !!! रचना के लिये बधाई !!!

Comment by Meena Pathak on October 6, 2013 at 3:08pm

उत्साहवर्धन करती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर जी 

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 2:21pm

माँ!
तुम हो मेरे लिए
शक्ति का वरदान
चरणों में तुम्हारे
बारम्बार प्रणाम
तुम ही तो हो
मेरी भगवान!
माँ!
तुम हो कितनी महान ||

             ..आ. मीना जी आपके इन स्वरों में हम सबका स्वर निवेदन शामिल है ..बहुत बधाई इस सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए !

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 1:20pm

माँ के स्वरूप को जितने भी शब्द दे दिए जाएँ वह कम ही है आदरणीया मीना जी..... बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति है ..... बधाई हो...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service