For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"डॉ साहिब, हमें बेटी नहीं चाहिए. आप बहू का एबॉर्शन कर दीजिए."
"ठीक है, आप लोग कल शाम मेरे प्राइवेट क्लिनिक पर आ जाईए".
"कल नहीं डॉ साहिब, हम लोग अगले हफ्ते ही आ पाएंगे"
"अगले हफ्ते क्यों ?"
"क्योंकि अभी नवरात्रे चल रहे हैं "

(मौलिक एवँ अप्रकाशित्)

Views: 1143

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:29am

रचना पसंद करने के लिए सादर आभार आदरणीय विजय निकोर जी


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:28am

रचना पसंद करने के लिए सादर आभार सचिन देव जी


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:27am

सादर आभार अग्रज लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:26am

दिल से धन्यवाद कहता हूँ आदरणीय गिरिराज भंडारी जी


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:26am

लघुकथा के मर्म तक पहुँचने हेतु सादर आभार आद०  डी  पी माथुर जी  .

Comment by MAHIMA SHREE on October 6, 2013 at 6:03pm

उफ़ .... भारतीय जनमानस  दर्शन और रहस्यवाद में जितना ही उन्नत है सामजिक और धार्मिक कर्मकांड में उतना ही उल्टा .. आदरणीय योगराज सर  आपकी लघु कथा इस दोगली  मानसिकता की तस्वीर को चंद शब्दों में बिना किसी पात्र के नाम  कितनी खूबसूरती से कह जाती है ...  जितनी भी तारीफ की जाए कम है ..

ह्रदयतल से आपको बधाई आदरणीय सर

Comment by Shubhranshu Pandey on October 6, 2013 at 4:18pm

आदरणीय योगराज जी, सुन्दर कथा.

लड़कियाँ केवल तस्वीरों में ही पसन्द आती हैं. घरों में हो तो परेशानी और बाहर हो तो दूसरों को परेशानी...बहुत बहुत बधाई...

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 6, 2013 at 4:03pm

आदरणीय सर 

पाखंडी दोहरी मानसिकता के लोगों की सोच की सताहीयता और घृष्टता को दर्शाती सुन्दर सार्थक संदेशपरक लघुकथा.

इस कसी हुई लघुकथा पर हार्दिक बधाई 

सादर.

Comment by Ravi Prabhakar on October 6, 2013 at 12:45pm

श्री योगराज जी,
सादर चरण वंदना ।
    बेहद सटीक और कसे शब्दों से आपने समाज के दोहरे चरित्र का चित्रण किया है। जैसे एकदम से कोई जोरदार पटाखा फूटता है परन्तु उसकी सन्न-सन्न बहुत देर कानों में गूंजती रहती है, यह आपकी लघुकथाओं की विशेष विशेषता होती है। लघुकथा होनी भी ऐसी ही चाहिए।  आप बहुत अल्प शब्दों में अपनी पूरी बात कह जाते हैं ।  भविष्य में भी आप अपनी कृतियों से साहित्य जगत को सराबोर करते रहेंगें इसी दुआ से आपको हृदय से शुभकामनाएं । आपकी और रचनाओं का बेसब्री से इंतजार रहेगा।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 10:43am

आदरणीय गुरुदेव, आपकी लघुकथायें हम लोगो के लिए शो रूम में रखे नमूनों की भाति होती है, कम शब्दों में कैसे उन बातों को आप समेटते हैं जिन्हें लिखने के लिए कई पन्नों की आवश्यकता हो । 

अभिभूत हूँ इस लघुकथा को पढ़कर, बहुत बहुत बधाई आदरणीय । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service