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माँ !! ( लघु कविता )

माँ !!

 

नेह ममता

लाड़  दुलार

अविस्मरण रूप

स्नेह की गागर

छलकाती ।

 

आँखों मे असंख्य

अबूझ स्वप्न

स्नेह सिक्त

जल धारा बरसाती ।

होती ऐसी माँ !!!..................अन्नपूर्णा बाजपेई 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on October 5, 2013 at 7:40pm

माँ को समर्पित सुन्दर कविता! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 11:54am

नेह ममता

लाड़  दुलार

अविस्मरण रूप

स्नेह की गागर

छलकाती ।.......बहुत सुंदर,

सच! माँ से बढकर कोई नही, बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by coontee mukerji on October 5, 2013 at 12:45am

ऐसी ही होती है माँ, सुंदर अभिव्यक्ति.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2013 at 12:04am

सुन्दर और सात्विक कविता के लिए बधाई

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 10:13pm

आदरणीय सुशील जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 9:39pm

वाह.... कितनी कम पंक्तियों में माँ के स्वरूप को उजागर कर दिया आपने.... बधाई हो आदरणीया अन्नपूर्णा जी....

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 9:17pm

आदरणीय अनुराग जी बिलकुल सही कहा अपने माँ तेरे बिन मुझको अब कौन संभाले !!! आपकाहार्दिक आभार । 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 4, 2013 at 8:02pm

माँ है तेरे रूप निराले , फिर आँचल की छाँव में सुलाले! अंधेरो में धकेलती ये दुनिया! तेरे बिना मुझे कौन संभाले ! हार्दिक बधाई !  

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 6:51pm

आ0 मीना जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 6:51pm

आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार , आपकी टिप्पणी से मन प्रसन्न हो गया ।

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