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संवेदनाओं के 

अंतर गुन्जन पर 

भाव लहरियों का 

निःशब्दित नृत्य..

इस ओर से उस छोर 

उस छोर से इस ओर

विलयित तटबन्ध..

लहर लहर मन 

आनंदित 'नील सागर'

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1170

Comment

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Comment by vijay nikore on October 2, 2013 at 10:41pm

इस सुन्दर और मधुर सृजन को साझा करने के लिए धन्यवाद, आदरणीया।

Comment by MAHIMA SHREE on October 2, 2013 at 9:21pm

अप्रतिम .. एक अलग ही भाव में बहा ले जाती ... हार्दिक बधाई आदरणीया प्राची जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 5:40pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी 

आप सम प्रबुद्ध संवेदनशील रचनाकार और सजग पाठक यदि किसी रचना पर ठहरे.. रुक जाए और रचना सन्निहित भाव विचार तंतुओं को स्पंदित करने में सक्षम हों तो अवश्य ही रचनाकार के लिए मान की बात है.

इस अनमोल उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय तल से धन्यवाद 

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 5:36pm

आदरणीय गणेश बागी जी 

रचना की भाव कथ्य सांद्रता को आपने विशेष रूप से अनुमोदित कर के अभिव्यक्ति को मान दिया है और मेरे लेखन को बहुत प्रोत्साहन मिला है.. इस बहुमूल्य सराहना के लिए सादर आभार आदरणीय.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 5:33pm

रचना का शब्द संयोजन और निहित भाव आपको पसंद आये यह जान लेखनी को प्रोत्साहन मिला है 

सादर धन्यवाद आ० नीरज कुमार जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 5:30pm

आदरणीय अरुण निगम जी 

रचना के मर्म को स्पर्श कर उत्साहवर्धक सराहना करने के लिए हार्दिक धन्यवाद 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 5:28pm

रचना के अर्थ की गहनता पर आपके अनुमोदन के लिए सादर आभार आ० अनुराग सैनी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 5:27pm

प्रस्तुति के भाव व शब्दों पर आपका उत्साहवर्धक अनुमोदन बहुत सुकून प्रदान कर रहा है आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी 

सादर धन्यवाद 

Comment by बृजेश नीरज on October 2, 2013 at 5:27pm

 आपकी हर रचना की तरह भावों को गहनता से पिरोये हुए आपकी ये रचना भी ठहरने, ठिठकने और सोचने पर मजबूर करती है! अनुपम रचना! इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई!

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 5:26pm

प्रिय अनुज अरुण शर्मा जी 

अभिव्यक्ति के भाव और प्रयुक्त शब्द आपको पसंद आये.. यह लेखन के प्रति आश्वस्तिकारी है 

आपका हार्दिक धन्यवाद 

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