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मैं ग़ज़ल लिखूँ या गीत लिखूँ ? (राज)

छंदों की फुहार हैं भीगे अशआर हैं

कहे कलम क्या; सृजन करूँ ?

मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ ?

 

जो नित नए रंग बदलते हों

पल पल में साथ बदलते हों

नूतन  परिधानों की मानिंद

हर दिन नव हाथ बदलते हों

उन अपनों को क्या लिखूँ?   

रकीब लिखूँ  या कि मीत लिखूँ   

मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ ?

 

यहाँ मजनू भी हैं लैला भी

और  शीरी भी फरहाद भी

यहाँ फिरते दिल बिखरे-बिखरे

सुन रहे हैं प्रेम जिहाद भी

इस चाहत को  क्या लिखूँ?   

मैं इश्क लिखूँ  या प्रीत लिखूँ  

मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ ?

 

ये धर्म के बीच खड़ी होती

कभी दिलों बीच अड़ी होती

और कभी बनाती ताज महल

कभी बगड़ बीच खड़ी होती

इस वितरक को क्या लिखूँ  

दीवार लिखूँ  या भीत लिखूँ  

मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ ?

 

कहीं मैदान  कहीं पहाड़ हैं

और फूलों भरी  कतार हैं

कहीं कहीं ठिठुरते हैं पीपल  

कहीं बर्फ ढके चिनार हैं  

इस मौसम को क्या लिखूँ?  

ऋतु शरद लिखूँ  या शीत लिखूँ  

मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ  ?

 

कुछ पाया भी कभी खोया भी

कुछ काटा भी कुछ बोया भी

कभी खुशियों से दमका मुखड़ा

कभी अश्रुओं से धोया भी

इस जीवन को क्या लिखूँ?  

निज  हार लिखूँ  या जीत लिखूँ

मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ  ?

**************************************

अप्रकाशित एवं मौलिक 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 1, 2013 at 10:00pm

आदरणीय गिरिराज जी गीत पर आपकी सराहना पढ़ कर अच्छा लगा आपको पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ ह्रदय तल से आभार आपका| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 9:37pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , बहुत सुन्दर प्रस्तुति है , आदरणीया अंतिम बन्द बहुत ही अच्छा लगा !! बहुत बधाई !!

कुछ पाया भी कभी खोया भी

कुछ काटा भी कुछ बोया भी

कभी खुशियों से दमका मुखड़ा

कभी अश्रुओं से धोया भी

इस जीवन को क्या लिखूँ?  

निज  हार लिखूँ  या जीत लिखूँ

मैं ग़ज़ल लिखूँ  या गीत लिखूँ  ? .........वाह वाह !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 1, 2013 at 7:51pm

प्रिय राम शिरोमणि जी आपको गीत पसंद आया दिल से आभार आपका| 

Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2013 at 7:29pm

बहुत सुन्दर गीत आदरणीया राजेश कुमारी जी //हार्दिक बधाई आपको //सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 1, 2013 at 3:08pm

प्रिय सखी आपको ये गीत  पसंद आया हृदय से आभारी हूँ  

Comment by shashi purwar on October 1, 2013 at 3:03pm

waah bahut sundar sakhi , kya git likha hai sundar anand aa gaya , sundar bhav abhivyakti hai badhai aapko


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 1, 2013 at 2:40pm

हाँ प्रिय संदीप जी इसकी संरचना गीत से कुछ अलग ही है अंतरे के अंत में क्या लिखूं में सिर्फ क्या  को खींचकर और लिखूं के साथ निम्न पंक्ति को तुरंत जोड़कर गाइए तो आपको ये सधा हुआ लगेगा ये कई बार गाकर ही लिखा है ,आपको इसके भाव पसंद आये पढ़कर अच्छा लगा ,देखते हैं विद्वद जनो  की क्या राय होगी|शुभ शुभ   

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 1, 2013 at 2:06pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम

यह गीत कुछ नयापन लिए हुए है

मुखड़े में भी मात्राओं का क्रम थोडा साधारण गीत से भिन्न लगता है

फिर हर अंतरे में मात्राएँ मुक्तक की तरह साधी गयीं हैं

फिर भी मुखड़े का प्रथम चरण .............क्या लिखूं

की वजह से गहरा अटकाव बन रहा है

इसे गाने के लिए लय मिलाने के लिए इस क्या लिखूं को बहुत खींचना सा पड़ रहा है

भाव पक्ष शानदार है जैसा की आपकी रचनाओं में  हमेशा देखने मिलता है

किन्तु गीत की दृष्टि से अटकाव आ रहा है जो थोड़ा व्यथित करता है

इसमें गुरुजनों की राय का इंतज़ार करूँगा

इस सुन्दर और गहन भावों से भरी रचना हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीया

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