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सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार ,
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार !!१

राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुराण!
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्याण !!२

ज्ञान चक्षु को खोलकर ,ऐसा दीपक बार !
जिससे घटता दंभ तम ,छटते मलिन विचार !!३

श्रद्धानत हो पूजते ,मन में दृढ़ विश्वास !
ऐसे नर के हिय सदा ,शिव शम्भू का वास !!४

सब धर्मों का सार यह ,सुनिये मेरी बात!
फल भी वैसा ही मिले ,जैसी करनी तात !!५

सहज नहीं दिखते कभी,सबको ही भगवान् !
वही मनुज होता सफल ,जिसको जीवन ज्ञान !!६


***************************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 3:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय रविकर जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 3:55pm

हार्दिक आभार भाई जीतेन्द्र जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 3:54pm

जी आदरणीया राजेश कुमारी जी आपसे सहमत हूँ ///अमूल्य सुझाव के लिए बहुत आभार //स्नेह यूँ ही बनाये रखें//सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 3:53pm

इस अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय  भाई अरुण शर्मा जी ///भाई मैंने लिखा सही था यहाँ पोस्ट करने और और टाइपिंग के बीच कुछ गड़बड़ी हो गयी थी ///स्नेह यूँ ही बनाए रखे भाई //सादर  

Comment by रविकर on September 27, 2013 at 1:51pm

सुन्दर दोहे मान्यवर, भली भली सी सीख |
जो नर नारी सीख ले, उसे मोक्ष झट दीख ||

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 27, 2013 at 12:58pm

बेहद सुंदर, सात्विक दोहे, बधाई राम भाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 27, 2013 at 12:12pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक सुन्दर सात्विक दोहे लिखे हैं कहीं कही टंकण त्रुटी है ध्यान दिलाना चाहूंगी जैसे पुरान ,कल्यान 

ऐसा दीपक जार !-----इसमें जार शब्द का अर्थ समझ नहीं आया 

सहज ही दिखाते कहाँ ,सबको ही भगवान् !----ये पद भी कुछ अस्पष्ट लगा 

बाकी सभी दोहे बहुत सुन्दर श्रेष्ठ हैं बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 27, 2013 at 12:05pm

सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार ,
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार !!१ वाह भाई वाह क्या कहने

राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुरान!
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्यान !!२ अति सुन्दर दोहा वाह

ज्ञान चछु को खोलकर ,ऐसा दीपक जार ! (प्रथम चरण में 12 मात्रा एवं चछु? इसका अर्थ जरुर देख लें)
जिससे घटता दंभ तम ,छटते मलिन विचार !!३

श्रद्धानत हो पूजते ,मन में दृढ़ विश्वास !
ऐसे नर के हिय सदा ,शिव संभू का वास !!४ सुन्दर दोहा भाई किन्तु शम्भू ठीक है संभू नहीं

सब धर्मों का सार यह ,सुनिये मेरी बात!
फल भी वैसा ही मिले ,जैसी करनी तात !!५ बहुत बढ़िया भाई

सहज ही दिखाते कहाँ ,सबको ही भगवान् ! (प्रथम चरण में गेयता भंग हो रही है भाई)
वही मनुज होता सफल ,जिसको जीवन ज्ञान !!६

अनुज दोहों पर आपका प्रयास बहुत ही अच्छा है सुन्दर संदेशात्मक दोहे रचे हैं आपे इस हेतु बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

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