For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

31 दिसंबर की सर्द रात को अपने फटे कम्बल के सहारे सर्द हवाओं के साथ संघर्ष करते हुए फुटपाथ पर लेटे हुए एक वृद्ध भिखारी ने जब  कुछ नौजवानों को सड़क पर मस्ती करते हुए देखा तो उसने सोचा ”इनका तो घर है, फिर यह घर जाकर लिहाफ की गर्मी में आराम से क्यों नहीं सोते?“

Views: 473

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on August 1, 2011 at 1:30am

Bahut khoob hai !!

Comment by Neelam Upadhyaya on June 8, 2011 at 9:48am
ढाई पॅंक्तियों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने । बहुत-बहुत बधाई ।
Comment by रंजना सिंह on June 7, 2011 at 2:25pm

 

इतनी संक्षिप्त पर कसी और पूर्ण कथा...आज पहली बार पढ़ा है मैंने...

किन शब्दों में प्रशंसा करूँ,समझ नहीं पा रही...

Comment by UDAI BHANU PANDE on June 7, 2011 at 12:12pm
हर कोई नहीं समझ सकता है,
जिस पर बीतती है, बस उसी को पता है.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 7, 2011 at 10:56am
थोडे से शब्दों में बड़ी गहरी बात कह दी रवि - वाह वाह !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2011 at 10:46am

आहा ! सिर्फ ढाई पक्ति में वो बात आपने कह दिया है जो कहने के लिए एक किताब की जरूरत है, बहुत ही उत्क्रिस्थ भाव व्यक्त करता हुआ यह लघु कथा है |

बहुत बहुत बधाई आदरणीय रवि प्रभाकर जी, आपके और प्रस्तुति का इन्तजार रहेगा |

Comment by Rash Bihari Ravi on June 6, 2011 at 5:10pm
vah kya bat tir chhota ghaw bada gahra hai
Comment by Ravi Prabhakar on January 4, 2011 at 8:14pm
धन्यवाद, नवीन भाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
8 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service