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ग़ज़ल- सारथी || बहुत चर्चा हमारा हो रहा है ||

बहुत चर्चा हमारा हो रहा है

इशारों में इशारा हो रहा है /१  

लकीरें हाथ की बेकार हैं सब 

समझिये बस गुजारा हो रहा है /२ 

न जाने रूह पर गुजरी है क्या क्या 

बदन का खून खारा हो रहा है /३ 

गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं

कोई जुगनू सितारा हो रहा है /४  

तुम अपनी धड़कनों को साधे रखना 

तुम्हारा दिल हमारा हो रहा है/५ 
.............................................
बह्र : १२२२ १२२२ १२२ 
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by शिज्जु "शकूर" on September 19, 2013 at 6:42pm

बहुत बढ़िया सारथी जी बेहतरीन ग़ज़ल बधाई कुबूल करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 19, 2013 at 6:09pm

आदरणीय सलीम भाई आप सही कह रहे है , चर्चा दोनो तरह से इस्तेमाल होने वाला शब्द है , हिन्दी मे स्त्री लिंग है उर्दू मे पुल्लिंग जैसे प्रयोग मे लाया जा रहा है , अतः आदरणीय सारथी जी मै अपने कमेंट का उतना हिस्सा  वापस लेता हूँ !! और मतले के लिये भी बधाई देता हूँ !!!

Comment by Abhinav Arun on September 19, 2013 at 2:11pm

लकीरें हाथ की लेकर गये हो

गरीबी में गुजारा हो रहा है |

.

गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं

कोई जुगनू सितारा हो रहा है |

.  ...अरे वाह कमाल की ग़ज़ल हुई है आदरणीय सारथी जी हर शेर शानदार इन दो के लिए ख़ास दाद कबूलें !!

Comment by saalim sheikh on September 19, 2013 at 2:04pm
Shandar ghazal dhron daad qubulen,
Adarniya Giriraj ji 'charcha' shabd shayad do tarah se istemal hota hai ,jahan tak mujhe lagta hai ye jab 'bahas' ya 'baatcheet' ke arth me istemal hota hai to striling hi hota hai lekin jab shohrat ke arth me istemal hota hai to shayad pulling bhi istemal hota hai, aisa mujhe lagta hai, behter to bade hi bata paynge
Comment by बसंत नेमा on September 19, 2013 at 1:32pm

वाह सारथी भाई जी ... सुन्दर गजल .. बधाई शुभकामनाये 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 19, 2013 at 1:22pm

आदरणीय सारथी जी , शानदार ग़ज़ल के लिये  बधाई !!

गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं

कोई जुगनू सितारा हो रहा है |        लाजवाब !!! लेकिन आदरणीय चर्चा शब्द हिन्दी शब्द कोश मे स्त्री लिन्ग है , बस यही शंका है !!

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