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हिंदी दिवस [दोहावली]

हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान
मिसरी घोले कान में ,इसमें बसती जान //

संस्कृत की दिव्या सुता ,जन जन का आचार
लाकर अब व्यवहार में ,दो इसको विस्तार //


मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //


पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //


हिंदी भाषा देश को करती है धनवान
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //

हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार
देव भाषा है इससे , महकाओ घर-बार //


स्नेह हिंदी भारत का ,भारत की है आस
हिंदी भाषा है मधुर सबका यह विश्वास //

हिंदी दिन की आपको ,बधाइयाँ हैं ढेर
हिंदी अपनाएं सभी अब काहे की देर //

          ...................................

..............मौलिक व अप्रकाशित ..............

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Comment by rajesh kumari on September 16, 2013 at 8:10pm

जी हाँ सरिता जी १ १ २ आ सकता है उदाहरण देखिये कमल खिला अतः  १२ बाद में और १ पहले शब्द के साथ मिला हुआ  सकता है ,किन्तु अंत में कमला नहीं हो सकता ,आशा है आप समझ गई होंगी 

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 7:53pm

राजेश दी पर इसमें लिखा है 

दोहे के विषम चरणों के अंत में सगण (सलगा ११२) , रगण (राजभा २१२) अथवा नगण(नसल १११) आने से दोहे में उत्तम गेयता बनी रहती  है!   सम चरणों के अंत में जगण अथवा तगण आना चाहिए अर्थात अंत में पताका (गुरु लघु) अनिवार्य है|

सबसे पहला सगण [सलगा ११२] जैसे आपने इससे को इंगित किया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 16, 2013 at 11:00am

प्रिय सरिता जी यहाँ सही लिखा है ,आपका संशय दूर करदेती हूँ .कमल =१ १ १ ही है अतः विषम चरण में १ १ १ ठीक है किन्तु ग़ज़ल में इसको १२ लेते हैं
भारत = २ १ १ है =इसको विषम चरण में नहीं ले सकते
सबको भी =१ १ २ २ है
बस आप इस बात को समझ लें जिसमे बड़ी मात्रा जुड़ जाती है वो दीर्घ /गुरु होता है
कई बार ग़ज़ल लिखने वाले छंद में गलती वश (जैसे भारत )में २ २ गिन लेते हैं ये गलती कई बार मुझसे भी हुई जो नहीं होनी चाहिए ,इसी लिए आप दुविधा में पड़ गई
जैसे आपने एक स्थान पर लिखा है ---देव भाषा है इससे--इसमें इससे १ १ २ आया जो विषम चरण के शिल्प में नहीं आता ,बस यहीं गलती हुई है ,समूह में दोहों के शिल्प में पूर्णतः स्पष्ट है

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 10:42am

आदरणीय ब्रिजेश नीरज जी आपकी मार्गदर्शक एवं उत्साहित टिप्पिनी का हमेशा तह दिल से स्वागत है 

आपका सुझाव अच्छा लगा कथ्य दोबारा नहीं दुहराया जाना चाहिए आगे से ध्यान रहेगा |

मैंने आपके कहे अनुसार कुछ बदलाव किया है 

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 10:35am

अरुण आभारी हूँ मार्गदर्शन कर स्नेह बनाए रखें 

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 10:34am

आदरणीया राजेश दी 

आपके कहे अनुसार कुछ सुधार किये हैं आशा है अब आपको पसंद आएंगे

पर दी एक बात अभी भी समझ नहीं आई है भारत को 2/2 और सबको 2/2 क्यों गिन रहे हैं ,मैंने आपका भेजा लिंक देखा उसमें कहीं पर भी ऐसा नहीं किया गया 

१११    १११   २११   १११,

नवल धवल शीतल सुखद,

इसमें शीतल को 2 1 1 हि लिया गया है 

११२     ११२     

महुआ महका, 

महका 1 1 2 

कृपया मार्गदर्शन कर संशय दूर करें 

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 10:02am

आदरणीय अभिनव अरुण जी एवं केवल परसाद जी आपका हार्दिक अभिनन्दन 

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 10:00am

आदरणीय गिरि राज भंडारी जी और भाई राम शिरोमणि जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 9:59am

आदरणीय भ्राता श्री लक्ष्मण जी 

आपके कहे अनुसार गेयता में कुछ सुधार किया है शुभाशीष बनाए रखें 

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 9:57am

आदरणीय अखिलेश श्रीवास्तव जी आपका सुझाव बहुत अच्छा लगा ,हमें हिंदी में ही हस्ताक्षर करने चाहिए ,पंक्ति में आपका बदलाव भी पसंद आया शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

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