For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए

दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,

मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,

न हो हासिल कुछ भी अगर  इस मोहब्बत में मुझे ,

तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!

वक़्त भर ही देगा वो जख्म जो मिले है मुझे तेरी चाहत में ,

बर्बाद ही हो गया हूँ मैं तेरी झूठी मोहब्बत में ,

इससे ज्यादा और मिलना भी क्या था इस उल्फत में ,

सजदे किये थे मैंने तेरे लिए खुदा की इबादत में ,

वक़्त की आँधियों में तू कहीं गुमनाम हो जाए !

 दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,

 मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,

न हो हासिल कुछ भी अगर  इस मोहब्बत में मुझे ,

तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!

माना की गमो की जद में हूँ और फुर्सत नही मुझे,

ये दिल फिर भी न जाने क्यों तलाशता है तुझे ,

इश्को मोहब्बत के चिराग है अब तो बुझे बुझे ,

हैरान हूँ मैं तेरे अंदाज़े इश्क पे काश तू भी थोडा परेशान हो जाए ,

दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,

मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,

न हो हासिल कुछ भी अगर  इस मोहब्बत में मुझे ,

तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!

कभी  मेरे पहलू में गुजरते थे दिन रात तुम्हारे ,

बहुत ही हसीं लगते थे मेरी बांहों के सहारे ,

मुझसे पल भर के लिए भी जुदा होना तुमको गवारा न था,

मेरे बिना तेरी जिंदगी का गुजारा न था ,

अब उन पलो को भुलाके तू अनजान हो जाए ,

दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,

मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,

न हो हासिल कुछ भी अगर  इस मोहब्बत में मुझे ,

तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!

तुझे देख कर ले नाम मेरा लोग तेरे आगे ,

कीमत क्या होती है फुल की कांटो के आगे ,

आँखों से अश्क बहें तेरी मुझे याद करके ,

दिन रात तेरे भी नयना मेरी तरह बरसे ,

अब तो चाहत का ये अंजाम हो जाए ,

दिल की धड़कन को कुछ तो आराम हो जाए,

मेरे दिल की वादियों में तेरी जिंदगी की शाम हो जाए,

न हो हासिल कुछ भी अगर  इस मोहब्बत में मुझे ,

तो खुदा करे की तू मेरे नाम से बदनाम हो जाए!

 

 

 

 मौलिक व अप्रकाशित 

 

 

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 12, 2013 at 11:48pm

वक़्त भर ही देगा वो जख्म जो मिले है मुझे तेरी चाहत में ,

बर्बाद ही हो गया हूँ मैं तेरी झूठी मोहब्बत में ,

इससे ज्यादा और मिलना भी क्या था इस उल्फत में ,

सजदे किये थे मैंने तेरे लिए खुदा की इबादत में ,...........वाह! क्या कहने

बेहतरीन रचना ,बहुत बहुत बधाई आदरणीय डा. अनुराग जी

Comment by बृजेश नीरज on September 12, 2013 at 11:21pm

बहुत अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 4:30pm

भावनाओं का ज्वार विश्वास है अब राह पा कर संयत हो लेगा. आगे,आपसे कविताओं की अपेक्षा है. आप् आन्य रचनाकारों की उन्नत रचनाएँ पढ़ें और तदनुरूप सार्थक प्रयास करें.

शुभेच्छाएँ

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 11, 2013 at 9:31pm

बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति अनुराग भाई टूटे हुए दिल की पीर बयां की है आपने हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 7:40pm

 डॉ० अनुराग सैनी जी

प्रेम प्राप्त ना होने पर अच्छा कोसा गया है.. शानदार तरह से बददुआएँ मन से जैसे बह निकली हैं.... बहुत खूब 

शुभकामनाएँ इस भावाभिव्यक्ति पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2013 at 6:58pm

आदरणीय  अनुराग भाई , उम्दा नज़म हुई !! बधाई !!

Comment by रविकर on September 11, 2013 at 2:07pm

गजब आदरणीय-

उनकी तरफ से जवाब आया है-

झूठी कहते ना थको, बको व्यर्थ अविराम ।
याद करो उस शाम को, जब थे लोग तमाम ।
जब थे लोग तमाम, नहीं बक्कुर था फूटा ।
फूटी किस्मत हाय, और दिल रविकर टूटा ।
रही मुहब्बत पाक, किन्तु तुझ से थी रूठी ।
करो कलेजा चाक, और कहते हो झूठी ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service