For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घुट-घुट मरती हैं बच्ची

इस रचना में एक अधिवक्ता की  पत्नी का दर्द फूट  पड़ा है ..................

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस ....

जब जग जाहिर ये झूठ फरेबी

बार-बार लगते अभियोग

अंधी श्रद्धा भक्ति तुम्हारी

क्यों फंसते झूठे जप-जोग

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस ....

========================

जान बचा-ना न्याय दिला-ना

बातें प्रिय तेरी सच्ची

ये गरीब वो पैसे वाला

घुट-घुट मरती हैं बच्ची

रिश्ते-नाते मात-पिता सब

दर्द में   उलझे मरते रोज

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस ....  

================================

तेरे बीबी बच्चों को जब

धमकी, दिल दहलायेगी

क्या गवाह तुम बने रहोगे ?

टूट नहीं तुम  जाओगे ?

न्याय की देवी को प्रियतम हे !

क्या  सच्चाई कह पाओगे ?

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस .... 

==============================

दस-दस झूठों में सच्चा 'इक'

घिसता नाक रगड़ता है

तू बहुमत-बहुमत करके क्यों

सच्चाई से चिढ़ता है

पोथी पत्रा  नियम नीति को

सच्ची राह पे ले आओ

चलो नहीं हे ! खेती करते

कोर्ट कचहरी मत जाओ

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस .... 

==============================

आसमान से गोले गिरते

धरती सब सहती जाती

धैर्य प्रेम ममता स्नेह ही

जल-जल हरियाली लाती

अतिशय प्रलय प्रकोप का कारक

दुष्ट निशाचर बन जाते

साधु -संत क्या पापी फिर तो

काल के गाल समा जाते

==========================

आँखें खोलो करो फैसला

ना जाओ लड़ने तुम केस .............

ना जइयो तुम कोर्ट हे !

मेरे दिल को लगा के ठेस .... 

==========================

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'५

9.20 A.M.-10.40 A.M.

कुल्लू हिमाचल

08.09.2013

Views: 794

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 13, 2013 at 11:54pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी रचना में छिपे दर्द को आप ने समझा और इनके भावों को सराहा सुन हर्ष हुआ आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 13, 2013 at 11:53pm

आदरणीया परवीन जी रचना ने आज के समाज के दर्द को उभारा और आप से सराहना मिली ख़ुशी हुयी
भ्रमर ५

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 9:55pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी बहुत सुंदर बहुत बढ़िया भाव , बधाई आपको ।

Comment by Parveen Malik on September 10, 2013 at 7:07pm
दर्द को उकेरती सुंदर रचना भ्रमर जी ...
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 10, 2013 at 5:51pm

आदरणीय रविकर भाई जी प्रोत्साहन हेतु आभार समर्थन मिला ख़ुशी हुयी .....अपना स्नेह बनाये रखें
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 10, 2013 at 5:47pm

आदरणीया विजयश्री जी ..अभिनन्दन ...

रचना के भाव आज के हालात को सटीक व्यक्त कर सकी और रचना आप को सशक्त लगी सुन ख़ुशी हुयी
पहल तो निश्चित रूप से करनी होगी प्रोत्साहन सब की सहायता जरुरी है कानून में सुधार भी जरुरी है
भ्रमर ५

Comment by रविकर on September 10, 2013 at 3:40pm

मार्मिक-
आभार भाई जी-

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 12:55pm

सच्चाइयों को उजागर करती एक सशक्त अभिव्यक्ति ...

पहल तो फिर भी करनी होगी 

बधाई स्वीकारें सुरेन्द्र कुमार शुक्ला जी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 9, 2013 at 1:39pm

आदरणीय गिरिराज भाई इस रचना के भाव हमारे कानून की खामियां गवाह साक्ष्य के बिना कुछ नहीं , अधिवक्ताओं के आंतरिक दर्द को आप ने समझा ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 9, 2013 at 10:30am
आदरणीय सुरेन्द भाई , वकीलों के आंतरिक दुखों को बयान करती सुंदर कविता क्व लिये बधाई !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service