For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! बने हम भोर-संध्या से!!!

विभा अब ढूंढ़ती किससे,
पढ़ाएं प्रेम की
पाती!
चपल सी आ गयी आभा,
चमकते शब्द
उपवन से।
पढ़ें पंछी, चहक चिडि़यां
धुनों में
गा रहे भौंरे।
कहे कोयल सुने सविता,
चमक कर
आ गयीं किरनें।
धरा पर छा गई मस्ती,
पवन इठला रही
उड़कर।
सुमन-शबनम मिली खिलकर,
गुलाबों की हसीं
बढ़कर।
बुलाती रोज दिनकर को,
हंसाती खूब
सर्दी में।
तराने ढ़ूढ़ते झरने,
उछलती
कूदती लहरें।
मिली मछली उड़ी तितली,
निशानी मिल
गयी छतरी।
दिशा जब लाल होती है,
थके पंछी
उड़े घर को।
जिया में डर बसा उनका,
ख्यालो में
पढ़े खत को।
कहानी यूं सिखाती है,
रवानी रोज
आती है।
विरहणी रात की रानी,
पिया दिनकर
मिलें दिन में।
रहे समरस सदा हरदम
कभी सुख है
कभी गम है।
लसे लाली कहे माली,
बने हम
भोर-संध्या से।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 27, 2013 at 7:46pm

आ0 सौरभ सर जी,  आपके अपार स्नेह और आशीष वचन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 27, 2013 at 7:43pm

आ0 नवादवी भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 27, 2013 at 7:42pm

आ0 आशीष भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 3:35am

भूरि भूरि बधाई भाईजी.  अंतर्गेयता ने एकदम से ध्यान खींचा है.. वाह वाह !

शुभम्

Comment by राज़ नवादवी on August 26, 2013 at 10:45pm

बढ़िया और संगीतमय भी. बधाई हो.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 26, 2013 at 8:13pm

बढ़िया प्रवाह पूर्ण रचना है भाई जी....
हार्दिक बधाई इस रचना के लिए !!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 8:02pm

आ0 शुभ्रा जी,   सादर प्रणाम!  प्रस्तुत कविता पर आपकी विशेष टिप्पणी से मेरा मान बढ़ गया । आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 8:00pm

आ0 अरून अनन्त भाई जी,    प्रस्तुत कविता पर आपकी विशेष टिप्पणी से मेरा मान बढ़ गया ।  यह मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है।  आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:56pm

आ0 शरदिन्दु सर जी,  सादर प्रणाम!  प्रस्तुत कविता से आपकी यात्रा की थकान दूर हुई।  यह मेरे लिए सुखद और परम सौभाग्य की बात है कि मैनें आपको पुनः तरोजाता महसूस कराया।  आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:48pm

आ0 बृजेश भाई जी,    आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service