For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँग भरकर सुहागन खड़ी रह गई

ख़्वाब पूरे हुए आस भी रह गई
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई

फ़ौज से लौट कर आ सका वह नहीं   

माँग भरकर सुहागन खड़ी रह गई 

खैर तेरी खुदा से रही मांगती  

चाह तेरी मुझे ना मिली रह गई 

छोड़ कर तुम भँवर में न होना खफा 

घाव दिल को दिए जो छली रह गई 

आजमाइश तूने की अजब है सबब 

मांगने में कसर जो कहीं रह गई 

प्यार गुल से निभा बुल फिरे पूछती  

आरजू में बता क्या कमी रह गई 

घाव बुल को मिले हो गई अजनबी 

आरजू अब अधूरी पड़ी रह गई 

*******

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on August 25, 2013 at 8:57pm

उम्दा गजल.....खासकर ये शेर खास तरीफ के काबिल बन पड़ा है.....

फ़ौज से लौट कर आ सका वह नहीं   

माँग भरकर सुहागन खड़ी रह गई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 24, 2013 at 6:23pm

सरिता जी , सुन्दर रचना , बधाई !

Comment by Meena Pathak on August 24, 2013 at 5:26pm

फ़ौज से लौट कर आ सका वह नहीं
माँग भरकर सुहागन खड़ी रह गई ....... बहुत सुन्दर, बधाई आप को

Comment by Sarita Bhatia on August 24, 2013 at 5:19pm

आदरणीय भाई विजय मिश्र जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on August 24, 2013 at 5:18pm

शुक्रिया अरुण ,स्नेह बनाए  रखें 

Comment by विजय मिश्र on August 24, 2013 at 4:08pm
खूब सुंदर उतरी है ,दिल से दिमाग होती हुई कलम से उभरी है . साधुवाद सरिता बहन .
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 24, 2013 at 2:11pm

वाह आदरणीया सरिता जी आपका यह अंदाज बहुत ही अच्छा लगा शानदार रचना हेतु मेरी बधाई स्वीकारें.

Comment by Shyam Narain Verma on August 24, 2013 at 1:03pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 24, 2013 at 11:35am

घाव बुल को मिले हो गई अजनबी 

आरजू अब अधूरी पड़ी रह गई |

 

सुन्दर रचना आदरणीया सरिता जी |

Comment by Sarita Bhatia on August 24, 2013 at 10:19am

आदरणीय अरुण जी तह दिल से शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service