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बन्दगी ज़िन्दगी की [सूफी गीत]

दिल से उतरा है रूह का तराना समझिये ।

उसकी बन्दगी में मिला ये नज़राना समझिये ।

दिल से दिल के तारों को जोड़कर ज़रा ,

मेरा ये अंदाजे बयाँ सूफियाना समझिये ।

........................................................................

बिन ताल कभी नाचा करिये, बिन सुर भी कभी गाया करिये |

अपने मुख पर एक गहन हंसी बेवज़ह कभी लाया करिये ।

फूलों ने कौन वज़ह मांगी गुलशन महकने से पहले ।

पक्षियों ने रब से क्या चाहा डालों पे चहकने से पहले ।

जीवन की बहती धारा में ,बस यूँ ही बह जाया करिये ।

बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।

राहों से कैसे गुज़रती हैं नदियों की मौज ज़रा समझो ।

किसी गहन मौन में डूबे तारों की फौज ज़रा समझो ।

मन की लहरों में डुबकी ले कुछ देर ठहर जाया करिये ।

बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।

छलकाओ मस्ती पी लो तुम कोई पैमाना ना ढूढ़ो ।

जीवन को पल पल जीने का तुम कोई बहाना ना ढूढो ।

आगोश में अपनी बाहों के कभी आप सिमट जाया करिये ।

बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।

ये भाव ह्रदय की मस्ती के जब रोम रोम में झलकेंगे ।

जीवन के प्रति ले अहो भाव आँखों से आंसू छलकेंगे ।

फिर अज्ञात के चरणों में सब छोड़ बिखर जाया करिये ।

बिन ताल कभी नाचा करिये .................................... ।

मौलिक व अप्रकाशित

        नीरज

Views: 505

Comment

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Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 3:06pm

    नीरज जी आपका ये सूफ़ियान अन्दाज़ पसन्द आया. बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 24, 2013 at 3:29pm

आ भाई जी आपका अंदाज बेहद पसंद आया ...आपके इस प्रयास को नमन 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 24, 2013 at 1:37pm

आ० नीरज जी 

सुन्दर भाव, सुन्दर प्रस्तुति 

बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 22, 2013 at 11:47am

बहुत सुन्दर नीरज भाई अंदाज पसंद आया प्रयास करते रहिये इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2013 at 11:35am

अति सुन्दर ! नीरज भाई , बधाई !!!

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