For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फासलों की 

हर पर्त को चीरते 

चंद शब्द...

जिनका चेहरा,

कभी दिखाई ही नहीं देता..

आखिर देखूँ भी तो क्यों ?

लुका छिपी में उलझाते मुखौटे  !

जिनकी आवाज,

कभी सुनायी ही नहीं देती..

आखिर सुनूँ भी तो क्यों ?

कृत्रिमता में गुँथे बंधित अल्फाज़  !

जिनके अर्थ,

कभी बूझने नहीं होते..

आखिर बूझूँ भी तो क्यों ?

सिर्फ भ्रमित करते से दृश्य तात्पर्य !

जबकि,

हृदय गुहा में 

अंकित होते हों..

मुखौटों की कृत्रिमता से 

सदा सर्वदा अस्पृष्ट..

अर्थ की बंदिशों से परे..

ऊर्जित भाव स्पंदन 

अपने अनुगुंजन में 

चिदानन्द संजोये

उसके चंद शब्द !!

Views: 1224

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 12:35pm

रचना की भाव दशा को अनुमोदित करने लिए सादर आभार आ० सुरेन्द्र वर्मा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 12:33pm

आदरणीय श्याम जुनेजा जी 

//व्यर्थ से मुक्ति और अर्थ-पूर्ण को संजोने का यह प्रयास ही तो जीवन की कविता है//

अभिव्यक्ति की मूल भावना को स्पर्श कर रचना के सार को एक पंक्ति में प्रस्तुत करने के लिए आपकी हृदय से आभारी हूँ. 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 12:30pm

आदरणीय विजय निकोर जी 

रचना का कथ्य सराह उत्साहवर्धन करने के लिए आपका सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 12:29pm

अभिव्यक्ति सन्निहित मनोभाव आपको पसंद आये और आपका अनुमोदन प्राप्त हुआ यह उत्साहवर्धक है आ० गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 12:27pm

अभिव्यक्ति आपको पसंद आई आ० अभिनव अरुण जी यह मेरे लिए संतोष की बात है 

आपका हादिक आभार 

Comment by Sulabh Agnihotri on August 19, 2013 at 11:19am

बहुत सुन्दर है प्राची जी !

Comment by रविकर on August 19, 2013 at 10:54am

सुन्दर शब्द संयोजन-
खूबसूरत भाव-
आभार आदरेया-

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on August 19, 2013 at 10:41am

बहुत सुन्दर कविता ... कृतिमता से दूर ह्रदय की आवाज मे शब्दविहीन भावना की महत्ता ... अद्भुत 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 19, 2013 at 8:18am

आदरणीया प्राची जी ..शानदार रचना की इन पंक्तियों ने काफी देर के बाद ही आगे की रचना पढने की इजाजत दी ..,

फासलों की 

हर पर्त को चीरते 

चंद शब्द...वाकई शानदार ..सदर बधाई के साथ 

Comment by विवेक मिश्र on August 18, 2013 at 10:07pm

आदरणीया डॉ. प्राची जी -
इस भाव प्रधान कविता की प्रथम तीन पंक्तियाँ ही अपने आप में एक कविता हैं.

/फासलों की 

हर पर्त को चीरते 

चंद शब्द.../
अनेकानेक बधाई स्वीकार करें.

पुछल्ला :-
/"कुछ अल्फाजों को"/ -  'अल्फ़ाज़' शब्द तो संभवतः 'लफ्ज़' शब्द का बहुवचन है. नहीं? 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service