For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी कभी मुझको लगता है जिन्दा जन आधार नहीं है

बार बार हमसे क्यों आकर उलझ उलझ कर

उलझ चुके कितने ही मुद्दे सुलझ सुलझ कर

ऐसे मुद्दे सुलझाने में वक्त करें क्यों जाया

अब तक सुलझा कर, बतला दो क्या पाया

उनको अपना स्वागत सत्कार समझ ना आया

किश्तवाड़ में हमें ईद त्यौहार समझ न आया

इतना सब कुछ हो जाने पर भारत चाहेगा मेल ?

शायद भारत को डर हो, कहीं रुक न जाये खेल। 

रत्ती का व्यापार नहीं है, चिंदी भर आकार नहीं है

भारत के उपकारों का उनको कुछ आभार नहीं है 

कभी कभी मुझको लगता है, भारत में सरकार नहीं है

कभी कभी मुझको लगता है जिन्दा जन आधार नहीं है

 

 

मै परिचित हूँ परिस्थिति क्या होती है युद्धों में

पर क्या समझौता उचित लग रहा है इन मुद्दों में

जिनके शीश कटे हैं उनकी माताओं से जानो

बेटा, पति, भाई खोने के दुःख को तो पहचानो

चुप्पी से भारत की सेना का स्वाभिमान गिरता है

और नहीं कुछ सैनिक में बस देश प्रेम मरता है

देश प्रेम मर जाने से शत्रु साहस बढ़ जाता है

छोटे से छोटा शत्रु भी भारत पर चढ़ आता है

पर क्या समझेंगे वो जो अब तक सत्ताधारी है

फिर से सत्ता हांसिल करने की केवल तैयारी है

कभी कभी मुझको लगता है, भारत में सरकार नहीं है

कभी कभी मुझको लगता है जिन्दा जन आधार नहीं है

 

कल फिर से भारत में हम आजादी पर्व मनायेगे

आजादी की खुशियों में फिर झूमे नाचेंगे गायेंगे

बलिदानी वीरों को केवल पुष्पांजलि दे देने से

थोडा झंडा झुका के उनको श्रधांजलि दे देने से

भारत में पैदा होने का धर्म नहीं पूरा होता है

भारत में पैदा होने का कर्म नहीं पूरा होता है

अपना केवल दाइत्व नहीं होता पोषण परिवारों का

रण लड़ना पड़ता है सबको भारत के अधिकारों का

बलिदानी वीरों का कहीं बलिदान न खाली जाये

कोटि कोटि सन्तति माता की दूध लजा न जाये

कभी कभी मुझको लगता है, भारत में सरकार नहीं है

कभी कभी मुझको लगता है जिन्दा जन आधार नहीं है

 

 "मौलिक व अप्रकाशित"

शब्दकार : आदित्य कुमार

 

Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aditya Kumar on August 26, 2013 at 11:42am

आदरणीय अग्रज श्री सौरभ जी आपका हार्दिक धन्यवाद्।  आपकी टिप्पड़ियां मुझे संबल देती है।  आशा करता हूँ आपका स्नेह बना रहेगा। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 2:10pm

भाई आदित्य कुमारजी, आपकी ओजपूर्ण रचना से मन प्रसन्न हो गया. कथ्य हेतु शिल्प आदि पर आप सजग हों. आपकी नैसर्गिक प्रतिभा के प्रति आश्वस्ति जगाती प्रस्तुत रचना के लिए आपको शुभकामनाएँ 

Comment by Aditya Kumar on August 18, 2013 at 6:39pm

आपका हार्दिक अभिनन्दन है आदरणीय  Dr.Prachi Singh जी यदि आपसे समय समय पर मार्गदर्शन प्राप्त होता रहेगा तो निश्चित ही मै अपनी रचनाओ में सुधर ला सकूँगा। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 18, 2013 at 9:42am

आ० आदित्य कुमार जी 

बहुत सार्थक ज्वजल्यमान भाव शब्द चिंतन प्रस्तुत करती अभिव्यक्ति..बहुत बहुत बधाई 

बस थोड़ा सा शिल्प के तौर पर और साधने की ज़रूरत है, सतत सजग लेखन से यह भी स्वतः ही सधता जाएगा.

शुभकामनाएँ  

Comment by Aditya Kumar on August 17, 2013 at 2:41pm

आदरणीय अग्रज विजय मिश्र जी मेरे ब्लॉग पर आकर प्रतिक्रिया देने के लिए मै आपका हार्दिक अभिनन्दन करता  हूँ ! आपका सदा स्वागत है. बस यूँ ही आप मेरे साथ बने रहिये भाईसाहब 

Comment by विजय मिश्र on August 17, 2013 at 12:02pm
आदित्यजी ! किन शब्दों में आपकी प्रसंशा करूं या उससे पहले आपके स्वर को स्वर देकर इस चरित्र और कर्तव्य च्युत व्यवस्था की भर्तस्ना करूँ ,समझ में नही आता ? गोली खाए देशभक्त सैनिक की 'तड़प' है आपकी यह रचना !!!
"कभी कभी मुझको लगता है, भारत में सरकार नहीं है
कभी कभी मुझको लगता है जिन्दा जन आधार नहीं है | - उचित शब्दों में सम्मान दिया है इस घृणित राजनितिक परिवेश को . हार्दिक अभिनंदन और आदर भी .
Comment by Aditya Kumar on August 15, 2013 at 6:01pm

आपका हार्दिक धन्यवाद् आदरणीय giriraj bhandari जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 15, 2013 at 9:00am

सच कहे भाई आदित्य !!

कभी कभी मुझको लगता है, भारत में सरकार नहीं है

कभी कभी मुझको लगता है जिन्दा जन आधार नहीं है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service