For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिवर्तन है सत्य सदा
अपनाना इसको सीखें।
इसमें ही है नव-जीवन
नूतन-पथ बुनना सीखें।।

नूतनता,खुशियां जनती
उत्सव नित्य मनाएं हम।
खुश रहकर कुसमय काटें
समय से न कट जाएं हम।
जीवन रंग सजाने को,
नयन-अश्रु पीना सीखें।।

शोक,हर्ष,उत्थान-पतन
हमें तपा कुन्दन करते ।
अगम सिन्धु की झंझा में
कर्म सदा नौका बनते।
निष्कामी आराधक बन
जग-वन्दन करना सीखें।।

प्राण मात्र से प्रीति करें,
प्रेम-पात्र जो बनना है।
अब तो जग जा,ओ रे मन!
मग यदि सुगम बनाना है।
प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें।।
-विन्दु
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 750

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on August 17, 2013 at 9:21am
आदरणीय सौरभ सर और आदरणीया प्राची जी आपकी बहुमूल्य टिप्पणी से रचना में 'सार्थकता' की मुहर लग गई।
आपके वाक्यांशों-
'ऊंची बात'
'कथ्य ने मन मोह लिया'
'बात ऊंची भी है तो सार्थक भी'
ने मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ाया है।
आपके कथन /सतत प्रयास करती रहे/ का मैं निरन्तर अनुसरण करने का प्रयास करती रहूंगी।
आपका बहुत आभार!
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 4:07pm

प्रिय वन्दना जी 

बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है ...

शोक,हर्ष,उत्थान-पतन
हमें तपा कुन्दन करते ।
अगम सिन्धु की झंझा में
कर्म सदा नौका बनते।.................बड़ी बात 
निष्कामी आराधक बन.............वाह ..सुन्दर 
जग-वन्दन करना सीखें।।

इस बंद के कथ्य नें मन मोह लिया ...बहुत बहुत बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 2:30pm

शोक,हर्ष,उत्थान-पतन
हमें तपा कुन्दन करते ।
अगम सिन्धु की झंझा में
कर्म सदा नौका बनते।
निष्कामी आराधक बन
जग-वन्दन करना सीखें।

बात ऊँची भी है तो सार्थक भी..  सतत प्रयास करती चलें. 

शुभेच्छाएँ

Comment by Vindu Babu on August 13, 2013 at 5:21pm
आदरणीय जितेन्द्र जी आपके अन्त: को रचना ने स्पर्श किया ये जान बड़ा अच्छा लगा।
आपका बहुत आभार।
आदरणीय अरुण जी,आदरेया अन्नपूर्णा जी आपकी उदात्त टिप्पणी नें मेरा बहुत उत्साहवर्धन किया है।
आप सभी का हृदय से आभार।
सादर
Comment by Vindu Babu on August 13, 2013 at 5:16pm
आदरणीय निकोर सर सादर नमस्ते!
आपका आशीर्वाद मिला लेखन-कर्म सार्थक हुआ। आपकी टिप्पणी ने रचना का महत्व बढ़ा दिया है। हृदयातल से आपका बहुऽत आभार!स्नेह बनाए रखें आदरणीय!
सादर
Comment by vijay nikore on August 12, 2013 at 6:55am

आदरणीया वंदना जी:

//प्राण मात्र से प्रीति करें,
प्रेम-पात्र जो बनना है।
अब तो जग जा,ओ रे मन!
मग यदि सुगम बनाना है।
प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें।।//

जीवन के गूढ़ रहस्यों को
कितने सुन्दर तरीके से वर्णित किया है
आपने ।

बस, ऐसे ही और लिखती रहें।

 

आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया।

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

Comment by annapurna bajpai on August 11, 2013 at 1:47pm

आदरणीया वंदना जी बहुत बढ़िया , इस संदेश परक रचना हेतु हार्दिक बधाई ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 11, 2013 at 1:13pm

आदरणीया वंदना जी वाह इस शिक्षाप्रद रचना एवं सुन्दर सन्देश देती हुई रचना हेतु ह्रदय से ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 12:45pm

प्राण मात्र से प्रीति करें,
प्रेम-पात्र जो बनना है।
अब तो जग जा,ओ रे मन!
मग यदि सुगम बनाना है।
प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें..............अंतर को झंझोडति पंक्ति

सुसंदेश देती हुयी रचना पर, हार्दिक बधाई आदरणीया वंदना जी

Comment by Vindu Babu on August 11, 2013 at 10:46am
यह मनोबल बढ़ाने वाली रचना तो आप जैसे आत्मीय सुधीजनों से प्राप्त मनोबल का परिणाम है आदरणीय विजयमिश्र जी।
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत उत्साहवर्धक है,निवेदन है स्नेह बनाए रखें।
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service