For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धन की खटिया छोड़ दे, मोह नहीं रख पास

तन मन चंगा रख सके, मन में भरे मिठास |

 

समय मौत ग्राहक कभी, आ टपके अनजान

इन्तजार करना नहीं, इनकी फिदरत जान |

  

मात पिता स्व यौवन का,सदा करे सम्मान, 

जाने पर फिर ना मिले,सहजे रखकर ध्यान | 

 

छोडो चिंता अतीत की, चिंतन में हो आज,

समय व्यर्थ गँवाय नहीं, झट निपटावे काज |

 

उत्तम संग संगीत का, संत संग हो बात,

दोस्त बने सह्रदय के, दुनिया को दे मात |

 

विद्या श्रम अरु प्रभु में, सतत रहे संग्लन

उन्नति का ये मार्ग है, करे हमेशा यत्न |

 

इनको कम ना आंकिये, रोग शत्रु अरु कर्ज

वश में इनको रख सदा, काम क्रोध का मर्ज |

 

लोभ क्रोध अरु बदचलन, कर देते कमजोर,

आत्मबल कमजोर करे, मन में बैठे चोर |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 960

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 11, 2013 at 5:44pm

आपका सुझाव मेरे लिए आदेश जैसा है, वास्तव में मुझे इसका ज्ञान नहीं था |आप विद्वजन से मै दोहे के अतिरिक्त

कुछ नहीं सीख पाने के कारण ही अधिकांशतः दोहे ही लिखता हूँ, पर दोहा मास्टर तो कदापि ना कहे आदरणीय |

आपका ह्रदय से आभार मानता हूँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 2:12pm

कोशिश करें दोहा के विषम चरण का अंत ११२ से भी न हो. यदि वह ११ किसी गुरु की तरह उच्चारित होता हो. आप तो दोहा मास्टर हैं, आदरणीय, सो कुछ कहते झटके लगते हैं. :-)))

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 4, 2013 at 7:02pm

दोहे सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार भाई श्री बृजेश नीरज जी 

Comment by बृजेश नीरज on August 4, 2013 at 6:24pm

बहुत ही सुन्दर संदेशपरक दोहे! मन प्रसन्न हो गया। आपको बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचनाकर्म पर!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2013 at 3:56pm

आपको दोहे पसंद आये, यह मेरा सौभाग्य है | आपका हार्दिक आभार श्री चन्द्र शेखर पाण्डेय जी 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on August 3, 2013 at 1:30pm

परम आदरणीय लड़ीवाला सर, आपके ये दोहे जीवन को सार्थक दिशा प्रदान करते हुए बहुत ही मनोहर हैं। मन  करता है इन्हें गाते रहें, आपकी रचनाएं प्रेरणा स्त्रोत हैं। नमन।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2013 at 10:32am

आपको दोहे पसंद आये,आपका हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी, एवं श्री डी पी माथुर साहब, सादर 

Comment by D P Mathur on August 3, 2013 at 10:11am

 आदरणीय लडीवाला सर , अति सुन्दर दोहों की आपको बधाई !

Comment by MAHIMA SHREE on August 2, 2013 at 11:03pm

बहुत ही सुंदर दोहे रचे आदरणीय लक्ष्मण सर .. दर्शन भी है और मार्गदर्शन भी .. बहुत-२ बधाई आपको आदरणीय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2013 at 3:58pm

दोहे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार भाई श्री अरुण शर्मा "अनंत" जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service