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नाम ही बस नाम बाकी रह गया है

नाम ही बस नाम बाकी रह गया है

 कहाँ अब इंसान बाकी रह गया है

क्यों नही करता वो मुझको अब क़ुबूल

कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है

बस तसल्ली है जो मेरे पास है

कौन सा सामान बाकी रह गया है

दिल मेरा कहता है वापस आएगा वो

क्या कोई तूफान बाकी रह गया है 

अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है 

अजय कुमार शर्मा

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 474

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Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:57am

अजय जी,
सितारों के आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 19, 2013 at 5:30pm

"बस तसल्ली है जो मेरे पास है

कौन सा सामान बाकी रह गया है"..वाह ! बहुत खूब..आदरणीय

"अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है "....यह तो कमाल है , बहुत सुंदर आदरणीय..अजय जी, हार्दिक बधाई आपको

Comment by Ketan Parmar on July 19, 2013 at 11:44am

कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है

इस मिसरे में अगर सा होता तो और जियादा निखार आता

Comment by annapurna bajpai on July 18, 2013 at 1:52pm

बहुत बढ़िया नज़्म के लिए बधाई स्वीकारे आदरणीय ।  

Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 1:36pm

आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by राज़ नवादवी on July 18, 2013 at 12:32pm

क्यों नही करता वो मुझको अब क़ुबूल

कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है

बहुत खूब!

Comment by बसंत नेमा on July 18, 2013 at 12:15pm

आ0 अजय शर्मा जी बहुत सुन्दर .........

Comment by coontee mukerji on July 18, 2013 at 12:09pm

  

अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है..........

बहुत चोट खाये है जमाने से....

.सादर

कुंती

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 18, 2013 at 11:27am

आदरणीय अजय शर्मा सर प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें किन्तु रचना आपसे समय और कसावट की मांग कर रही है.

Comment by Parveen Malik on July 18, 2013 at 10:11am

अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है

सही बात आदरणीय .... बहुत बढ़िया बधाई !

कृपया ध्यान दे...

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