For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुलसी की चौपाई में

तमस मंथरा

के निवास में

ईच्‍छा जब

पग धरती है

**दश रथों की

धीर धुरी भी

विकल हाथ

बस मलती है

ऐसे में

अक्‍सर ही संयम

दूर भरत सा

रहता है

हो अधीर कुछ

मनस लखन भी

चाप चढ़ाए

फिरता है

बस विवेक तब

राम रूप में

सबको पार

लगाते हैं

ज्ञान तापसी

वेश सिया धर

बढ़ते चल

कह जाते हैं

इतना ही तो

लिखा हुआ है

तुलसी की

चौपाई में

कैसे-कैसे

अर्थ निकाले

कितनों ने

विषपायी ने

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

**(प्राण वायु के दस प्रकार)

Views: 2402

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 7, 2013 at 9:22am
"शुरुआत में दमदार बात...तो अंत तक! क्या कहने....!पुन :बधाई आदरणीय...
Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 9:12am

मुझे तो शुरू से आखिरी तक पूरी कविता दमदार लगी! 

प्राम्भ से लेकर आखिरी तक कविता ने अमित छाप छोड़ी है,,  

अतिशय  बधाइयाँ !!!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 7, 2013 at 8:59am
""तमस मंथरा

के निवास में

ईच्‍छा जब

पग धरतीहै"".....आदरणीय..शुरुआत ही में ही, दमदार बात ..! हार्दिक बधाई
Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:48am

सौ की सीधी एक बात!!

हार्दिक बधाई! 

Comment by बृजेश नीरज on July 6, 2013 at 11:42pm

सच बात कही।
बहुत सुन्दर!
हार्दिक बधाई!

Comment by रविकर on July 5, 2013 at 8:36pm

क्या बात है-
आदरणीय-
आभार आपका-

Comment by coontee mukerji on July 5, 2013 at 7:23pm

आपने थोड़े से शब्दों में बहुत ही सुंदर ढ़ग से रामचरित मानस के पात्रों का चित्रण किया है.बहुत सुंदर.

सादर

कुंती.

Comment by ram shiromani pathak on July 5, 2013 at 7:09pm

वाह भाई बहुत ही सुन्दर व् सटीक चित्रण किया है आपने//हार्दिक बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2013 at 4:25pm

वाह वाह ! भाई राजेश कुमार झा साहब, संत तुलसीदास जी की चौपाई में लिखे का निचोड़ निकाल कर रख

दिया आपने अपनी तरह की चार चोपाई में |मंथरा के कारण श्री दशरथ जी की धैर्य धुरी टूटने से लेकर प्रभु राम

की धीरजता का सुन्दर शिल्प और संक्षिप्त में वर्णन सुंदर और गागर में सागर सा लगा | इसके लिए दिल से ढेरों

बधाइयां स्वीकारे करे | शुभम | जय श्री राम 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service