For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - यूं ही आने वाला वक्त बदलता नहीं|

वैसे तो वक्त किसी के लिए ठहरता नहीं,

उसे रोके बिना दिल हमारा भी भरता नहीं|

आने वाले पलों को खुशामदीद आज करलें

यूं ही तो आने वाला वक्त बदलता नहीं|

क़दमों की गर्मी से पहाड़ को बना दें पानी

रंगीनियों में तो बर्फ भी पिघलता नहीं|

तूफानों से कतरा कर निकलते हैं तिनके

जिस्म वो है किसी दर्द में सिमटता नहीं|

जांबाज़ खेलते हैं आने वाली सदीयों से

आज के पलों से अब मन बहलता नहीं|

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 3, 2013 at 9:50pm

अरुन कुमार जी, मध्यम बहर पर ही आधारित है

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 3, 2013 at 9:50pm

विजय मिश्र जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपकी बधाई के लिए

 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 3, 2013 at 9:49pm

जीतेन्द्र पस्तारिया जी, बहुत शुक्रिया आपने इसे पसंद किया

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 3, 2013 at 9:48pm

डॉ बब्बन जी, आपकी दाद के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 3, 2013 at 9:48pm

हरीश उप्रेति जी, बहुत शक्रिया आपकी दाद के लिए 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 1:20pm

आदरणीय कृपया ग़ज़ल की बहर बता दें ताकि कुछ कहने में आसानी हो सके. सादर

Comment by विजय मिश्र on July 1, 2013 at 11:55am
"जिस्म वो है किसी दर्द में सिमटता नहीं|" -- यह टुकड़ा चाँद सा है , चंद्रेशजी ,बधाई .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 1, 2013 at 1:28am
"आने वालेपलोंकोखुशामदीदआजकरलें

यूंहीतोआने वालावक्तबदलतानहीं|

क़दमोंकीगर्मीसे पहाड़ कोबनादें पानी

रंगीनियोंमें तोबर्फ भीपिघलतानहीं|"....आदरणीय....चन्द्रेश जी, सुंदर गजल के लिए शुभकामनाऐं
Comment by Dr Babban Jee on June 30, 2013 at 4:18pm

Ati Sundar !

Comment by Harish Upreti "Karan" on June 30, 2013 at 4:05pm

सुन्दर रचना......

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service