For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यथा!

तुम

मन के किबाड़े

खोलना मत 

खोलना मत 

सौ तरह के 

व्यंग होगे 

धूल धूसर 

संग होंगे 

भाव कोई गैर 

अपनी 

भावना में 

घोलना मत 

घोलना मत 

व्यथा!

खुद से कहना 

खुद ही सहना 

तेरी

अंतर यातना 

पर किसी से 

बोलना मत 

बोलना मत 

व्यथा!  

गीतिका 'वेदिका'

मौलिक एवम अप्रकाशित  

Views: 1134

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 12:45pm

आपका आभार जितेन्द्र जी!

आपको रचना सुंदर लगी ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है।    आपने रचना के मर्म को जाना,, रचना सार्थक हुआ। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए   अनमोल है।  आपका आभार जितेन्द्र जी!

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 12:41pm

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी! आप की रचनाये भाव प्रधान रहती है … इस लिए जब आपकी प्रतिक्रिया रचना पर मिली तो लगता है रचना सही कसौटी से गुजरी। आपने बहुमूल्य राय  से अवगत करने हेतु आभार आपका  

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 12:39pm

आदरणीय जवाहर जी! महिमा जी की प्रतिक्रिया से तो मै भी सहमत हूँ 

आपका शुक्रिया!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 24, 2013 at 9:43am
आदरणीया..गीतिका जी, सादर आभार आपका..."आपकी रचना की पंक्तियां सुंदर व मर्म को छूने वाली हैं..." शुभकामनाऐं आदरणीया
Comment by vijay nikore on June 24, 2013 at 8:30am

//खुद से कहना 

खुद ही सहना 

तेरी

अंतर यातना 

पर किसी से 

बोलना मत 

बोलना मत 

व्यथा!  //

 

अति सुन्दर मार्मिक भाव!

बधाई, गीतिका जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 24, 2013 at 8:08am

आदरणीया गीतिका जी, सादर अभिवादन!

महिमा जी की प्रतिक्रिया में सहमति ब्यक्त करता हूँ!

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 2:46am

आभार जीतेन्द्र जी! आपने व्यथा की रचना में सुन्दरता खोज ली,,,  

Comment by वेदिका on June 23, 2013 at 9:00pm

आभार आपका आदरणीय महिमा श्री जी! 

 //कहते है दुःख बाटने से घटता है और ख़ुशी बाटने से बढती है//

 पर ये भी तो कहते है न "रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय 

सुन अठलेहे लोग सब बाट न लेहे कोय"  ……। पर फिर भी कुछ अपने होते होंगे  महिमा जी! जिनसे अपने पीर व्यक्त किये जा सके। 

आपका पुनः आभार भरे दिल से   

Comment by MAHIMA SHREE on June 23, 2013 at 8:27pm

खुद से कहना 

खुद ही सहना 

तेरी

अंतर यातना 

पर किसी से

बोलना मत 

 

 ....

बहुत खूब गीतिका जी अच्छी प्रस्तुति हैं  पर कहते है दुःख बाटने से घटता है और ख़ुशी बाटने से बढती है .. सादर

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 23, 2013 at 7:08pm
आदरणीया..गीतिका जी, बहुत ही सुंदर व मर्मस्पर्शी पंक्तियां...शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
16 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
18 hours ago
Shabla Arora updated their profile
21 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service