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परिचय करते वक्त ही,  पहले पूछे नाम

परिचय सुद्रड़ हो तभी, करे बात की काम॥ 

परिचय देवे पेड़ का, बच्चे को बतलाय,

इनके क्या क्या नाम है,अच्छे से समझाय 

 

कन्द मूल खाकर रहे, वन में सीता राम,
चौदह वर्षों तक किया, पेड़ तले विश्राम ||


वृक्षों में मै पीपल हूँ, कृष्ण स्वयं बतलाय

वृक्षों में भी प्राण है, इसको वह समझाय || 


वटवृक्ष  तले बैठकर, लिया बुद्ध ने ज्ञान,

पेड़ पौध सब सांस ले, गौत्तम दे संज्ञान       

 

प्रभु कृपा से पेड़ मिले, ईसा का सन्देश,

रब दी छाया पेड़ से, नानक का उपदेश ||

 

कोंपल कुचले ना कभी, टहनी को मत तोड़,

तन-मन ताजा रह सके, इनसे नाता जोड़ ||

 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

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Comment

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Comment by रविकर on June 6, 2013 at 9:12am

पढ़े पेड़ पर दोहरे, देते भैया सीख |
इनमे भी जीवन बसे, दर्द निकाले चीख ||


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 6, 2013 at 8:07am

परिचय करते किसी से.. . . विषम चरण ?

फिर आपका छंद है क्या ?

आगे के पदों में भी गेयता दोहा छंद के अनुरूप नहीं है, आदरणीय.

Comment by ram shiromani pathak on June 6, 2013 at 12:30am

बहुत ही सुन्दर दोहे रचे है अपने आदरणीय लक्ष्मन जी ////एक बात कहना चाहूँगा ,क्षमा सहित //
आप के दोहों में कसावट की कमी लगी ////आप तो पुराने खिलाड़ी हो गए है  ओ बी ओ के अतः बोलना पड़ा मुझे ///

Comment by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 9:17pm
वाह!आदरणीय लक्ष्मण जी सराहनीय प्रयास के लिए हार्दिक बधाई!
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:13pm

बहुत बहुत बधाई हो आदरणीय लक्ष्मण सर जी ..............नमन है आपके रचना कर्म में अनवरत प्रयास रत रहने को 

जय हो 

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