For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नीम तले--वर्णिक छंद सवैया पर आधारित एक गीत

 

सखि,चैत्र गया अब ताप बढ़ा।

धरती चटकी सिर सूर्य चढ़ा।

ऋतु के सब  रंग हुए गहरे।

जल स्रोत घटे जन जीव डरे।

फिर भी मन में इक आस पले।

सखि पाँव धरें चल नीम तले।

 

इस मौसम में हर पेड़ झड़ा।

पर, मीत यही अपवाद खड़ा।

खिलता रहता फल फूल भरा।

लगता मन मोहक श्वेत हरा।

भर दोपहरी नित छाँव मिले।

सखि झूल झुलें चल नीम तले।

 

यह पेड़ बड़ा सुखकारक है।

यह पूजित है वरदायक है।

अति पावन प्राणहवा इसकी।

मन भावन शीतलता इसकी।

इक दीप धरें हर शाम ढले।

सखि, गीत गुनें चल नीम तले।

 

यह जान बड़े गुण हैं इसके।

नित सेवन पात करें इसके।

यह खूब पुरातन औषध है।

कड़वा रस शोणित-शोधक है।

हर गाँव शहर यह खूब फले।

हर रोग मिटे सखि नीम तले।

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

कल्पना रामानी  

Views: 1227

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shalini kaushik on May 14, 2013 at 12:03am

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .पूर्णतया सहमत बिल्कुल सही कहा है आपने .>

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2013 at 9:22pm

आ0 रामानी मैम जी,    आप जब भी लिखती हैं, बहुत अच्छा लिखती है।  वाह क्या बात है!  आपने सवैया के विधा पर अतिसुन्दर गुणकारी गीत लिखा है।   तहेदिल से हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 13, 2013 at 9:04pm

बहुत बढ़िया गीत के माध्यम से नीम के गुणों का सुन्दर बखान किया है आदरणीय कल्पना जी बहुत- बहुत बधाई आपको |

Comment by ram shiromani pathak on May 13, 2013 at 8:36pm

यह पेड़ बड़ा सुखकारक है।

यह पूजित है वरदायक है।

अति पावन प्राणहवा इसकी।

मन भावन शीतलता इसकी।

इक दीप धरें हर शाम ढले।

सखि, गीत गुनें चल नीम तले।

आदरणीया बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने//हार्दिक बधाई ///महिने की श्रेष्ठ रचना कि लिये बधाई. /सादर /

Comment by seema agrawal on May 13, 2013 at 7:38pm

यह जान बड़े गुण हैं इसके।

नित सेवन पात करें इसके।

यह खूब पुरातन औषध है।

कड़वा रस शोणित-शोधक है।

हर गाँव शहर यह खूब फले।

हर रोग मिटे सखि नीम तले।......बहुत सुन्दर गीत कल्पना जी बधाई 

Comment by shalini rastogi on May 13, 2013 at 7:19pm

फिर भी मन में इक आस पले।

सखि पाँव धरें चल नीम तले।... आदरणीय कल्पना जी ... बहुत बहुत भाया  मन को आपका यह कड़वा नीम !

Comment by Shyam Narain Verma on May 13, 2013 at 4:24pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 3:41pm

यह जान बड़े गुण हैं इसके।

नित सेवन पात करें इसके।

यह खूब पुरातन औषध है।

कड़वा रस शोणित-शोधक है।

हर गाँव शहर यह खूब फले।

हर रोग मिटे सखि नीम तले।

aadrniyaa kalpna jii सादर 

रचना सुन्दर भाव की 

नीम के गुण अनमोल 

बैठ छांव तरु के 

जिव बंधन खोल 

बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on May 13, 2013 at 3:39pm

बढि़या गीत एवं सुंदर संदेश भी, हार्दिक बधाई कल्‍पनादी

Comment by Kavita Verma on May 13, 2013 at 2:06pm

neem ke vruksh ka sundar varnan...is mahine ki shreshth rachna ke liye badhaiyan...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service