For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ खरी खोटी....कुण्डलिया

कुणडलिया
----

लाख दवायें कर रहे, कम ना होता रोग
लिखा शास्त्र मे है यही, सबसे उत्तम योग
सबसे उत्तम योग, रोग यह दूर भगाता
ह्रदयों मे उत्साह , बदन मे फुर्ती लाता
स्वस्थ वही हैं आज, योग जो करते जायें
काम करे जो योग, करे नहि लाख दवायें
----
बात बनाना है कला, बात सही यह जान
भागदौड की जिंदगी, आता हरदम काम
आता हरदम काम, मुसीबत दूर भगाता
मुश्किल जो हैं काम, उसे यह सहज बनाता
कहते हैं कविराय, पडा उसको पछताना
सीख सका नहि आज, अभी तक बात बनाना
-----
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on May 11, 2013 at 5:58pm
आदर्णीय बृजेश जी सादर आभार
Comment by manoj shukla on May 11, 2013 at 5:57pm
आदर्णीय प्रदीप जी आपका सादर आभार
Comment by बृजेश नीरज on May 11, 2013 at 1:16pm

सुन्दर कुण्डलिया! सादर बधाई स्वीकारें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2013 at 6:17pm

कहते हैं कविराय, पडा उसको पछताना
सीख सका नहि आज, अभी तक बात बनाना
-योग जरूरी पर बात बनाना बहुत जरूरी 

सादर बधाई 

Comment by manoj shukla on May 10, 2013 at 5:10am
आदर्णीया कुन्ती जी...आपका हार्दक आभार... आपका सुझाव ठीक लगा...प्रयास करेंगे...सादर आभार
Comment by coontee mukerji on May 9, 2013 at 11:41pm

मनोज जी , आपने बहुत अच्छा लिखा है लेकिन विषय को अगर और विस्तार देते तो एक पूर्ण रचना बन जाती . सादर / कुंती

Comment by manoj shukla on May 9, 2013 at 9:14pm
आदर्णीया... सीमा जी , आपसे प्रशंशा पाकर मै धन्य हुआ...सादर आभार
Comment by seema agrawal on May 9, 2013 at 7:47pm

बढ़िया कुण्डलिया छंद मनोज जी ....हार्दिक बधाई 

Comment by manoj shukla on May 9, 2013 at 6:16pm
आदर्णीय...... अरुन जी...आपका सादर आभार....स्नेह बनाये रखें आदर्णीय
Comment by अरुन 'अनन्त' on May 9, 2013 at 5:10pm

भाई मनोज शुक्ला जी जैसा विषय चुना है ठीक वैसी ही कुण्डलिया भी प्रस्तुत की हैं आपने, इस शानदार रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
5 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
21 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
39 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
47 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"किस को बताऊँ दोस्त  मैं क्या याद आ गया ये   ज़िन्दगी  फ़ज़ूल …"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जी ज़रूर धन्यवाद! क़स्बा ए शाम ए धुँध को  "क़स्बा ए सुब्ह ए धुँध" कर लूँ तो कैसा हो…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया। अच्छा मतला हुआ। ‘सुनते…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
3 hours ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service