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छोड़ आए गाँव में वो, ज़िंदगानी याद है।

सौंपकर पुरखे गए जो, वो निशानी याद है।

 

गाँव था सारा हमारा, ज्यों गुलों का इक चमन,

शीत, गर्मी, बारिशों की, ऋतु सुहानी याद है।

 

एक हो खाना खिलाना, रूठ जाने की अदा,

फिर मनाने मानने की, वो कहानी याद है।

 

छुप-छुपाते, खिलखिलाते, हँस हँसाते रात दिन,

फूल, बगिया, बेल-चम्पा, रात रानी याद है।

 

मुँह अँधेरे, त्याग बिस्तर, भागना भूले कहाँ?

हाथ में माँ से मिली, गुड़ और धानी याद है।

 

ज्ञान गुण के बोध का, कितना सुखद अहसास वो,

जो बुजुर्गों ने हमें दी, सीख वानी याद है।

 

आ गया उस गाँव में, झोंका अचानक लोभ का,

जब शहर ने छीन ली, हमसे जवानी याद है।

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

कल्पना रामानी

Views: 682

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Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2013 at 9:50am

वेदिका जी, हार्दिक आभार...अच्छा है आप गाँव में हैं। फर्क तो शहर में रहने से पता चलता है की कुछ पाने के लिए कितना खोना पड़ता है।

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 24, 2013 at 8:45am

आदरणीया कल्पना रामानी जी सादर, वक्त के बदलाव पर कही सुन्दर गजल. हर शेर मस्त है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by वेदिका on April 23, 2013 at 8:17pm

बहुत खूब आदरणीय कल्पना जी!

आ गया उस गाँव में, झोंका अचानक लोभ का,

जब शहर ने छीन ली, हमसे जवानी याद है।//

अब गाँव में रह रही हूँ तो गाँव की सुखदायी बातें अच्छी लगती है ....बहुत अच्छी ...

शुभकामनायें

Comment by कल्पना रामानी on April 23, 2013 at 6:00pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी, हृदय से धन्यवाद आपका...

Comment by कल्पना रामानी on April 23, 2013 at 5:59pm

आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी, सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 23, 2013 at 5:52pm

आ गया उस गाँव में, झोंका अचानक लोभ का,

जब शहर ने छीन ली, हमसे जवानी याद है।

लाजवाब शेर ....ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई|

Comment by बृजेश नीरज on April 23, 2013 at 5:47pm

कल्पना जी बहुत सुन्दर गज़ल कही आपने। मेरी ढेरों बधाई स्वीकारें।

//आ गया उस गाँव में, झोंका अचानक लोभ का,

जब शहर ने छीन ली, हमसे जवानी याद है।//

इन पंक्तियों के लिए विशेष तौर पर बधाई स्वीकारें।

Comment by कल्पना रामानी on April 23, 2013 at 5:35pm

 आदरणीय अभिनव अरुण जी, यह गजल,चुपके चुपके... मुझे बहुत प्रिय है, इसी को याद करते हुए ही यह रचना तैयार की है।  आपका हार्दिक धन्यवाद ...

Comment by कल्पना रामानी on April 23, 2013 at 5:31pm

केवल प्रसाद जी, हार्दिक आभार...

Comment by कल्पना रामानी on April 23, 2013 at 5:30pm

प्राची जी, बहुत बहुत धन्यवाद ...

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