For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

             "शुभ प्रभात"

उदय सूर्य हुआ , नभ मंडल में , सब दुनिया मे उजियारा हो ,
मन भाव  उठे  , संग शब्द सजे , तब मन का दूर अंधियारा हो .

जब गूँज उठे ,  शंख मंदिर मे , आह्लाद सा अंदर  जाग उठे ,
कलरव हो , कँहि दूर गगन , नव संचार सा तन में भाव उठे ,

जब पवन बहे , निर्मल निर्मल , मन मस्तिक सुंदर ज्ञान सजे ,
जब नीर  मिले , मिट्टी से जा , सोंधी खुश्बू से  ध्यान  मंजे ,

मत उंघ पथिक , तू जाग ज़रा , अब आई सुबह की बेला है ,
पहचान ज़रा , अब तू खुद को ,  बाकी जीवन एक मेला  है , 



अश्क

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 4145

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 11:13pm

सुन्दर रचना आदरणीय अश्क जी बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 19, 2013 at 7:32am

माननीय गुरुवर

,
सुप्रभात ,

आपको , रचना के भाव बाँध पाए ,
हार्दिक आभार ,

आपका प्रोत्साहन मुझे संबल देता है ,
मैं तकनीकी रूप से सशक्त होना चाहता हूँ ,
आपकी छोटी सी टिप्पणी भी मेरे लिए उर्जा का कार्य करेगी ,
अत: मुझे इंतज़ार रहेगा , आपकी बहुमूल्य सुझावों का ,

सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 10:03pm

बहुत ही सुन्दर प्रातः अभिनन्दन है आदरणीय
इस सुन्दर रचना के हेतु सादर बधाई स्वीकार कीजिये


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 9:53pm

आदरणीय कत्याल साहब, रचना सकारात्मक उर्जा संचार करने में कामयाब है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें |  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 7:18pm

आदरणीय अशोक कत्याल जी, बहुत सुन्दर भाव रचना के 

जिस तरह से सूर्योदय एक नव ऊर्जा का संचार करता है ज़िंदगी की रवानी में , वैसे ही सद्भावों से मन का अन्धकार दूर हो जीवन में एक नया सवेरा होता है..

उत्कृष्ट भावों से पगी अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on April 18, 2013 at 3:11pm

 अशोक जी,बहुत सुन्दर।  बधाई स्वीकारें।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 18, 2013 at 3:00pm

शुभ प्रभात ! रोज सवेरा होता है, बल्कि मनुज के लिए जब जागे तभी सावरा ! सुन्दर सन्देश देती सापेक्ष सोच से पगी रचना 

हार्दिक बधाई श्री अशोक कात्याल "अश्क"जी -

मत उंघ पथिक , तू जाग ज़रा , अब आई सुबह की बेला है ,
पहचान ज़रा , अब तू खुद को ,  बाकी जीवन एक मेला  है , - बहुत खूब 

 

 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 10:17am

आदरणीय अशोक कत्याल जी,  सुप्रभात व सादर प्रणाम!  बहुत सुन्दर।  बधाई स्वीकारें।   सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service