For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मालिक सबका एक है, खुदा गॉड भगवान।
धर्म पंथ में बांटकर, भटक गया इंसान॥

निराकार साकार ही, दोनों ईश्वर रूप।
देह और छाया सदृश, संग-संग हैं धूप॥

सूरज तारे चांद सब, सगुण ईश के रूप।
नियति नियम निर्गुण कहें, अद्भुत भव्य अनूप॥

ईश प्राप्ति निज खोज है, खोज सके तो खोज।
मोह निशा से घिर मनुज, बाहर भटके रोज॥

आत्मरूप में जाग नर, भटक नहीं अन्यत्र।
तुझ में ईश्वर ईश तू, तू ही तू सर्वत्र॥

धूम- अग्नि दिन- रात से, सुख से दुख संयुक्त।
धूप संग ही छांव है, सत्य कौन प्रभु उक्त॥

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2013 at 7:47pm

भाई श्री बिन्ध्येवरी त्रिपाठी जी, मै तो अभी भी आप गुनी जनों से ही सीख रहा हूँ और आपकी समाती होने पर और

आत्मबल मिलता है | आपका हार्दिक आभार  

Comment by बृजेश नीरज on April 12, 2013 at 7:21pm

भाई विन्ध्येश्वरी जी बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं आपने!

//मालिक सबका एक है, खुदा गॉड भगवान।//

फिर भी लोग धर्म के नाम पर रोज झंडा लिए फसाद किए रहते हैं। ऊपर वाला सबको राह दिखाए।
इस रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकारें।
नवरात्रि और नवसंवत्सर की शुभकामनाएं।

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2013 at 6:01pm
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी! दोहों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार।आपका सुझाव शिरोधार्य है।हमें खुशी है कि आप अपने छंद ज्ञान में सुधार कर पकड़ बना रहे हैं।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2013 at 5:58pm
भाई अरुण जी! विषय और दोहे दोनों पसंद करने के लिये आभार।अपना प्रेम यूँ ही बना रहे।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2013 at 5:57pm
आदरणीय शरदिन्दु जी! दोहों की सराहना के लिये हार्दिक आभार।
अन्यथा लेने का कोई कारण नहीं है मान्यवर,लेकिन आपके सुझाये अनुसार उस पंक्ति में 2 मात्रायें बढ़ जायेंगी,अर्थात् 15 हो जायेंगी जबकि दोहा छंद के प्रथम व तृतीय चरण में 13-13 मात्रायें होती हैं।अब शिल्प को तो नहीं छोड़ा जा सकता न?
रचना पसंद व सुझाव के लिये पुन: हार्दिक आभार।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2013 at 5:39pm

इश्वर भक्ति के दोहे सुन्दर है बधाई श्री बिन्ध्येश्वरी जी - इस दोहे को निम्न प्रकार देखे आदरणीय (सुगमता कि द्रष्टि से )

ईश प्राप्ति निज खोज है, खोज सके तो खोज।
मोह जाल में फँस रहा , बाहर भटके रोज | 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 12, 2013 at 4:45pm

आदरणीय मित्रवर त्रिपाठी जी आपने जितना सुन्दर विषय चुना है दोहे भी उतने ही सुन्दर हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on April 12, 2013 at 3:38pm

आत्मरूप में जाग नर, भटक नहीं अन्यत्र।
तुझ में ईश्वर ईश तू, तू ही तू सर्वत्र॥

आदरणीय, सभी दोहे बहुत अच्छे हैं, विशेषकर उपरोक्त पंक्तियाँ. लेकिन यहीं पर एक सुझाव है. यदि " तुझ में ईश्वर ईश तू...." की जगह कहें " तुझ में ईश्वर तू ईश में, तू ही तू सर्वत्र " तो कैसा रहेगा ? मेरे होंठ जैसे पढ़ते हैं, कान जैसे सुनते हैं उसी के अनुसार यह सुझाव दे रहा हूँ. अन्यथा न लीजियेगा. सुंदर विचारों को रूप देने  के लिये अभिनंदन.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service