For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या वजह क्या वजह कहर बरपा रहे
मेहरबां - मेहरबां से नजर आ रहे


ये दुपट्टा कभी यूँ सरकता न था

आज हो क्या गया यूँ ही सरका रहे


चूडियाँ यूँ तो बरसों से ख़ामोश थी

बात क्या है हुजूर आज खनका रहे


यूँ तो चेहरे पे दिखती थीं वीरानियां

औ अचानक बिना बात मुस्का रहे


दिल ये चर्चित का यूं ही बडा शोख है

देख लो आप ही इसको भडका रहे

- विशाल चर्चित

Views: 1057

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 4, 2013 at 8:57pm

सीमा दीदी, आपके स्नेह को प्रणाम.....!!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 4, 2013 at 8:56pm

जी सौरभ सर जी.....आपने सही कहा.....ग़जल के मामले में तो बिलकुल आरोपित सा ही जान पडता है.....क्योंकि हम उच्चारित तो करते हैं श-हर (१२), क-हर(१२) और मे-हर-बां (१२२) लेकिन गजल में अगर ऐसा करे तो उसे बे-बहर मान लिया जाता है....वजह, शायद अरबी -फारसी की लिपि और उनके उच्चारण...खैर, मुझे इस मामले में अत्यंत अल्प ज्ञान है इसलिये वीनस भाई और तिलकराज कपूर सर जी की राय चाहता था इस विषय पर.....!!!

Comment by seema agrawal on April 4, 2013 at 7:29pm

एक रोमांटिक ग़ज़ल पर इतनी चर्चा ने ग़ज़ल के खूबसूरत भावों को देखने ही नहीं दिया 

क्या वजह क्या वजह कहर बरपा रहे
मेहरबां - मेहरबां से नजर आ रहे......मेहरबां - मेहरबां अब इसे आप लोग कैसे भी पढ़ें मेरी तरफ से तो  वाह है 

चूडियाँ यूँ तो बरसों से ख़ामोश थी
बात क्या है हुजूर आज खनका रहे....बहुत सुन्दर .........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 4, 2013 at 4:05pm

चर्चित भाईजी, आप अपने इस पेज को रिफ़्रेश करें. बहुत कुछ पढ़ने को मिल जायेगा अब.  और वह समीचीन है.

हिन्दी और उर्दू के शब्द अलग-अलग नहीं होते. हिन्दी ने बहुत कुछ आत्मसात किया हुआ है. हाँ, उर्दू में फ़ारसी और अरबी शब्दों की प्रधानता होती है या आरोपित की जाती है. कुछ लोग हिन्दी में संस्कृत शब्दों की प्रधानता पर बल देने लगते हैं. लेकिन यह सारा कुछ प्रयोगकर्ता के निजी परिवेश जन्य ही हुआ करता है.

शुभ-शुभ

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 4, 2013 at 3:13pm

गणेश भाई जी, अरुण भाई, संदीप भाई........आप सभी का आभार......सौरभ सर मैं क्षमा प्रार्थी हूं कि मैने मिसरों के वज्न नहीं दिये....आगे से मैं ध्यान रखूंगा.....अब बात मेहरबां - मेहरबां की....तो मुझे कुछ उर्दू के जानकारों ने बताया कि शह-र, कह-र, बह-र (२१) की तरह मेह-र-बां (२१२) गिना जाता है.....और ऐसा उर्दू में इस शब्द के उच्चारण के आधार पर किया जाता है.... बाकी इस मामले पर ज्यादा रोशनी के लिये यहां किसी उर्दू के जानकार से राय की अपेक्षा है....हो सकता है कुछ नया सीखने को मिल जाये.....!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 3:10pm

जी जी भ्राताश्री वाकिफ हूँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 4, 2013 at 3:10pm

\\संदीप जी, ग़ज़ल का बहर विज्ञान क्या है, ध्वनि विज्ञान ही तो है, उच्चारण में लगने वाले समय के अनुसार ही तो वजन निर्धारित होता है ।\\

जी आदरणीय सही कहा आपने किंतु यदि सभी वर्ण उच्चारण मे नही आएँ तो फिर उसे लिखने का कोई अर्थ ही न रहेगा
हाँ मात्राएँ गिरा के पढ़ने से सहमत हूँ ............
जैसा कुछ प्रचलित शब्दों मे देखा गया है जैसा की गुरुदेव ने स्पष्ट किया है

सादर स्नेह यूँ ही बनाए रखिए


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2013 at 3:09pm

अरुण अनंत जी ....मेहरबां हिंदी शब्द नहीं है ....उर्दू शब्द है । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2013 at 3:03pm

संदीप जी, ग़ज़ल का बहर विज्ञान क्या है, ध्वनि विज्ञान ही तो है, उच्चारण में लगने वाले समय के अनुसार ही तो वजन निर्धारित होता है ।  

//हो सकता है ऐसा पढ़ पाने से मात्राएँ या वज्न ठीक हो जाए किंतु शब्द ही बदल जाएगा// 

बिलकुल सही । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 3:03pm

हार्दिक आभार आदरणीय गुरुदेव श्री एवं भ्राताश्री गणेश जी सच कहूँ तो मैंने भी हिंदी में साइलेंट पहली बार ही सुना है. हार्दिक आभार आप दोनों का.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service