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प्रेमिकाएं और डाक टिकट

अपनी पुरानी  डायरी में से आपके लिए कुछ हाज़िर कर रहा हूँ ! आशा है आपको पसंद आएगा !

ये प्रेमिकाएं बड़ी विकट  होती हैं
बिल्कुल  डाक टिकट होती हैं
क्योंकि जब ये सन्निकट होती हैं
तो आदमी की नीयत में थोडा सा इजाफा हो जाता है !
मगर जब ये चिपक जाती हैं तो
आदमी बिलकुल लिफाफा हो जाता है !!

सम्बन्धों के पानी से
या भावनाओं की गोंद से चिपकी हुई
जब ये साथ चल पड़ती हैं तो
अपने आप में हिस्ट्री बन जाती हैं !
जिंदगी के डाक खाने में उस लिफ़ाफ़े की
रजिस्ट्री बन जाती हैं  !!

यूँ इनके साथ होने पर
लिफ़ाफ़े का अपना एक रंग होता है !
मगर जब ये नहीं होती हैं तो
लिफाफा बेरंग होता है !!

मेरी आप लोगों से विनती है , अरदास है , रिक्वेस्ट है
कि आप अपनी जिंदगी के लिफ़ाफ़े पर
किसी भी मूल्य का , किसी भी साइज़ या आकार का
डाक टिकट चिपकाइए ! मगर
ज़रा सलीके से लगाइये !!

कहीं ऐसा न हो इससे कहीं कोई
दुर्घटना घट  जाए !
और कोई आपके लिफ़ाफ़े का डाक टिकट छुडाने लगे तो
कहीं लिफाफा ही न फट जाए  !!

Views: 876

Comment

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 31, 2013 at 4:47am

आदरणीय योगी जी, सादर अभिवादन!

आपने डायरी खोली और हमें दिखला दी!

लिफाफे को जैसे ही खोला 

देख खूबसूरती को हमने भी खिल खिला दी!

मजा आ गया !

Comment by coontee mukerji on March 31, 2013 at 12:46am

बहुत खूब ! कोई भी पाठक मुस्कराये बिना नहीं रह सकता. योगी जी खूब लिखा है , बधाई

Comment by Savitri Rathore on March 31, 2013 at 12:26am

प्रेमिकाएँ और डाक टिकट ,निस्संदेह अद्भुत उपमा! सरल -सहज शब्दों में मनमोहक हास्य -व्यंग युक्त रचना,जो आनंद के साथ -साथ एक सन्देश भी दे रही है।बधाई हो।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 30, 2013 at 7:45pm

सुन्दर हास्य व्यंग रचना, पढ़ कर हास्य में सरोबार हो गया | पर सावधान कुछ डाक टिकिट लगे लिफ़ाफ़े चिपकू होते है -------

बधाई श्री योगी सारस्वत जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 30, 2013 at 5:13pm

बेहतरीन साहब ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मजा आ गया पढ़ कर

बहुत बहुत बधाई आपको सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 30, 2013 at 1:42pm

प्रेमिकाएँ और डाक टिकट ........ हाहाहा हाहाहा , क्या खूब उपमा दी है, फिर उसे सिद्ध भी कर दिया है..क्या कहने, बहुत खूब 

कहीं ऐसा न हो इससे कहीं कोई
दुर्घटना घट  जाए !
और कोई आपके लिफ़ाफ़े का डाक टिकट छुडाने लगे तो
कहीं लिफाफा ही न फट जाए  !!..............हाहाहा 

इस बहुत ही अद्भुत प्रविष्टि के लिए हृदय से बहुत बहुत बधाई आ० योगी सारस्वत जी.

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