For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : अब तो मक्खी यहाँ कोई भी निगल जाता है

बहर : २१२२ ११२२ ११२२ २२

 ----------------------------------------------

भिनभिनाने से तेरे कौन बदल जाता है

अब तो मक्खी यहाँ कोई भी निगल जाता है

 

यूँ लगातार निगाहों से तू लेज़र न चला

आग ज्यादा हो तो पत्थर भी पिघल जाता है

 

जिद पे अड़ जाए तो दुनिया भी पड़े कम, वरना

दिल तो बच्चा है खिलौनों से बहल जाता है

 

तुझ से नज़रें तो मिला लूँ प’ तेरा गाल मुआँ

लाल अख़बार में फौरन ही बदल जाता है

 

थाम लेती है हवा प्यार से इसको, वरना

खोपड़ी तोड़ तो इक बूँद का बल जाता है

 

खाद, मिट्टी व नमी चाहिए गुलशन के लिए

पेड़ काँटों का तो सहरा में भी पल जाता है

---------------------------------------------

(स्वरचित एवं अप्रकाशित)

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 25, 2013 at 7:37pm

आदरणीय Dr.Prachi Singh जी, Amod Kumar Srivastava जी, Rajesh Kumar Jha जी, ram shiromani pathak जी, Ashok Kumar Raktale जी,  Laxman Prasad Ladiwala जी, Saurabh Pandey जी आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया कि आप सबने रचना को अपना समय दिया एवं अपने विचारों से अवगत कराया। यह स्नेह बना रहे।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 30, 2013 at 1:37pm

भिनभिनाने से तेरे कौन बदल जाता है

अब तो मक्खी यहाँ कोई भी निगल जाता है.. 

उस कहावत को इस रूप में देख कर हैरानी बाद में. आपके अंदाज़ को सलाम पहले.

 

जिद पे अड़ जाए तो दुनिया भी पड़े कम, वरना

दिल तो बच्चा है खिलौनों से बहल जाता है.. .... ...  . वाह भाई वाह ! बहुत जान है इस शेर में.

 

तुझ से नज़रें तो मिला लूँ प’ तेरा गाल मुआँ

लाल अख़बार में फौरन ही बदल जाता है.. .... ......... फिर से कमाल .. लाल अख़बार के लिए बधाई.

 

थाम लेती है हवा प्यार से इसको, वरना

खोपड़ी तोड़ तो इक बूँद का बल जाता है........ ...  ... . का हो ?

 

खाद, मिट्टी व नमी चाहिए गुलशन के लिए

पेड़ काँटों का तो सहरा में भी पल जाता है.......  ..     इस दम के लिए फिर से दाद... .

एक बहुत ही दमदार ग़ज़ल को साझा करने के लिए हार्िक धन्यवाद, धर्मेन्द्र भाई.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 23, 2013 at 9:41am

सुन्दर गजल, बहुत उम्दा, बधाई श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 23, 2013 at 9:03am

जिद पे अड़ जाए तो दुनिया भी पड़े कम, वरना

दिल तो बच्चा है खिलौनों से बहल जाता है.............वाह! बहुत खूब!

दिली दाद कुबुलें आदरणीय धर्मेद्र जी, सादर.

Comment by ram shiromani pathak on March 22, 2013 at 2:27pm

..आदरणीय  धर्मेन्द्र सिंह जी, बहुत बढ़िया ..

जिद पे अड़ जाए तो दुनिया भी पड़े कम, वरना

दिल तो बच्चा है खिलौनों से बहल जाता है       वाह वाह   ....

Comment by राजेश 'मृदु' on March 22, 2013 at 2:08pm

अच्‍छी रचना के लिए हार्दिक बधाई कबूल करें, सादर

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 22, 2013 at 10:51am

भिनभिनाने से तेरे कौन बदल जाता है

अब तो मक्खी यहाँ कोई भी निगल जाता है  ....आदरणीय  धर्मेन्द्र सिंह जी, बहुत बढ़िया ..... वाह वाह   ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 22, 2013 at 9:36am

आदरणीय धर्मेन्द्र सिंह जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है

यूँ लगातार निगाहों से तू लेज़र न चला

आग ज्यादा हो तो पत्थर भी पिघल जाता है ...... निगाहों से लेज़र हहाहाहा 

और गाल का लाल अखबार में बदलजाना ...क्या कहने 

हार्दिक दाद क़ुबूल करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service