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1-प्रेम पर्व होली

होली के हुड़दंग में,डूबा सारा गांव।
बालक वृद्ध जवान सब,एक सदृश बर्ताव॥
एक सदृश बर्ताव,करें हिल-मिल नर नारी।
उड़ते रंग गुलाल,संग मारें पिचकारी॥
होली प्रेम प्रतीक,सभी लगते हमजोली।
मिटा हृदय के बैर,बंधु खेलें हम होली॥

2-देवर पर भंग का नशा

डटकर पी ली भंग तन,मन पे काबू नाय।
भाभी से देवर कहे,रंग दूं गाल लगाय॥
रंग दूं गाल लगाय,बुरा मानो तुम चाहे।
हाबी फागु आज,जवानी जोश चढ़ा है॥
इतना करो न नाज,कहाँ जाओगी बचकर।
चढ़ा भंग का रंग,रंग खेलेंगे डटकर॥

3-फागुन में कद्दू का प्रेम

कद्दू बोला सेम से,अरी छबीली नार।
लैला-मजनूं की तरह,करता तुझसे प्यार॥
करता तुझसे प्यार,मुझे तू न मत करना।
रहना दिल के पास,मुझे बांहों में भरना॥
तुझसे करना प्यार,अरे जा रे बुद्धू।
ब्याहे राहुल मोहि,राह से हट जा कद्दू॥

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Comment by सूबे सिंह सुजान on March 6, 2013 at 11:07pm

जी धनयवाह

Comment by ram shiromani pathak on March 5, 2013 at 4:40pm

कद्दू बोला सेम से,अरी छबीली नार।
लैला-मजनूं की तरह,करता तुझसे प्यार॥ आनंद आ गया बड़े भाई जी .........

रंग दूं गाल लगाय,बुरा मानो तुम चाहे।
हम भी आज जवान,बुढ़ापा जोश चढ़ा है॥
इतना करो न नाज,कहाँ जाओगी बचकर।
चढ़ा भंग का रंग,रंग खेलेंगे डटकर॥ भाई जी माहौल मजेदार हो गया है !

होली प्रेम प्रतीक,सभी लगते हमजोली।
मिटा हृदय के बैर,बंधु खेलें हम होली॥भाई जी बहोत ही बढ़िया पंक्ति 

बड़े भाई जी बहोत ही बढ़िया हार्दिक बधाई 

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