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तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना

हर आहट पे सांस थमी है आ भी जाओ ना॥

सूनी दिल की आज गली है आ भी जाओ ना॥

अरमानों के गुलशन में बस तेरा चर्चा है,

हरसू तेरी बात चली है आ भी जाओ ना॥

पूनम की इस रात में तेरी याद बहुत आती है,

तारों की बारात सजी है आ भी जाओ ना॥

आँखें प्यासी, होंठ हैं प्यासे, प्यासा मेरा मन,

दिल में भी इक प्यास दबी है आ भी जाओ ना॥

भूल गया हूँ ख़ुद को रब को और इस दुनिया को,

केवल तेरी याद बची है आ भी जाओ ना॥

तेरे बिन दिल का गुलशन वीराना लगता है,

मुरझाई चाहत की कली है आ भी जाओ ना॥

“सूरज” के ढलते ही यादें पीछा करती हैं,

तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना॥

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

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Comment

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Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 8:38pm

डॉ प्राची जी नमस्कार । आपको ग़ज़ल अच्छी लगी और दाद मिली इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। आजकल वक़्त कम निकाल पा रहा है इसलिए मंच पर नहीं आ पा रहा हूँ । लेकिन आप लोगों को पढ़ना भूलता नहीं ....ऐसे ही स्नेह बनाए रखेँ 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 8:35pm

राजेश कुमारी जी आपकी खूबसूरत और उत्साह वर्धक प्रतिकृया के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ। आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपकी दाद मिली बहुत अच्छा लगा। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 13, 2013 at 8:19pm

बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल वो भी इतनी खूबसूरत, नाज़ुक से ख्यालों को समेटे हुए, पढ़ कर आनंद आ गया. 

हर शेर लाजवाद है, दिल को छूने वाला है.

हार्दिक दाद क़ुबूल करें सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2013 at 7:09pm

हर आहट पे सांस थमी है आ भी जाओ ना॥

सूनी दिल की आज गली है आ भी जाओ ना॥

 वाह वाह क्या आगाज़ है क्या अंदाज़ है और क्या कहूँ बस इस मखमली ग़ज़ल के लिए दाद कबूल करें 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 5:07pm

डॉ साहब अब उतावले नहीं होंगे तो कब होंगे....आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by Dr.Ajay Khare on February 13, 2013 at 3:54pm

suryabala ji bade utable ho rahe hai badhai utablepan ki sunder rachana ke liye

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 12:04pm

संदीप जी आपकी दाद कुबूल हुई और आपका तहे दिल से शुक्रिया । 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 12:01pm

जी सौरभ जी आपका आशीर्वाद और प्यार मिला बहुत अच्छा लगा। आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धक होती है॥आपकी सलाह सर आँखों पे। आपका बहुत बहुत शुक्रिया॥ 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 13, 2013 at 11:59am

वाह वाह सर जी ........................अपने अंदाज में ग़ज़ब के अशआर  कहे हैं आपने 

इस खूबसूरत दिलकश ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद क़ुबूल करें सर जी 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 13, 2013 at 11:06am

ग़ज़ब ! .. तो आज जा कर एक शायर फिर से अपनी पे आया है ! और क्या आया है !! बसंती बयार के मनोरम बहाव में प्रेम तरंग की नकधुन्नी इतनी दिलकश है कि सुनने वाला बिना इण्डक्टेड हुए नहीं रह सकता. इन अश’आर पर तो बस मस्त हूँ -

 

पूनम की इस रात में तेरी याद बहुत आती है, .....        [शायद है न होता ..
तारों की बारात सजी है आ भी जाओ ना॥

 

आँखें प्यासी, होंठ हैं प्यासे, प्यासा मेरा मन,
दिल में भी इक प्यास दबी है आ भी जाओ ना॥

आखिरी शेर में रवानगी थोड़ी हचकती है. शब्द-संयोजन का मामला हो सकता है. मग़र मक्ता फिर से वाह-वाह है.. .

बधाई-बधाई-बधाई .. सूरज साहब ढेर सारी दाद कुबूल करें.

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