For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"

इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"

बुरा न बोलिए उसे अगर कठिन गुजर हुआ
सिवाय वक़्त के बता न कौन हमसफ़र हुआ

तलाशते रहा जिसे रखे मिलन कि तिश्नगी
सुनी नहीं सदा अजीज यार बे-खबर हुआ

बदल नहीं सके उसे कहा सनम जिसे कभी
सनम रहा सनम बने न प्यार का असर हुआ

बढीं तमाम गर्दिशें चली हवा गुमान की
बुझा चिराग प्यार का निजाम बेअसर हुआ

गुरूर जिस्म पे कभी न कीजिये हुजूर यूँ
उसूल सुन हयात का मनुज नहीं अमर हुआ

न राह दिख रही मुझे न "दीप" मंजिलें दिखीं
मगर रुके न आज तक तलाश ही सफ़र हुआ


 संदीप पटेल "दीप"

Views: 1004

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by charnjit mann on February 13, 2013 at 5:45am

is ki behr yeh banti hai- mafaa'ilun*4(1212)

Comment by mrs manjari pandey on February 12, 2013 at 12:22pm

संदीप जी पञ्च चामर ग़ज़ल का प्रयोग पसंद आया। धन्यवाद आपको

Comment by भावना तिवारी on February 11, 2013 at 10:10am

बढीं तमाम गर्दिशें चली हवा गुमान की
बुझा चिराग प्यार का निजाम बेअसर हुआ ..........waah ...asardaar.....badhaai ...!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 6:35pm

आदरणीय गुरुदेव मेरी कहे तथ्य पर सहमती जताने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह, मार्गदर्शन और आशीष यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 8, 2013 at 6:28pm

//जबकि उर्दू बहर मैं हम मात्राएँ गिरा सकते हैं 
छंद और उर्दू बहर में मुझे यही तकनीकी अंतर दीख पड़ता है //

सौ बात की एक बात.. और कितनी सटीक बात ! आपने छंद और ग़ज़ल के मध्य का अंतर स्पष्ट किया है.. आगे पुनः आगे,  भाई संदीप जी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:49pm


आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम 

सच कहा आपने ये बहर हो सकती है यदि हम जिहाफ लें तो मूल बहर से ये बहर मिल सकी सकती है 
किन्तु शायद छंद में जब हम कोई ग़ज़ल बांधते हैं तो मात्राएँ गिराने की छूट नहीं मिलती है 
जबकि उर्दू बहर मैं हम मात्राएँ गिरा सकते हैं 
छंद और उर्दू बहर में मुझे यही तकनीकी अंतर दीख पड़ता है 
अब यदि इसे छंदात्मक दृष्टि से देखें तो ये प्रयोग ही है 
किन्तु इसमें भी मात्राएँ गिराने की छूट नहीं है 
इसीलिए मुझे ये उर्दू बहर से अलग लगी है 
ये तो हुई मेरी छोटी सी सोच 
फिर आपकी इसमें क्या राय है ??? अपने इस शिष्य के लिए अवश्य कहें गुरुदेव आपके कहे अनुसार प्रयत्नशील रहूँगा 
अपना स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:48pm
आदरणीय वीनस सर जी 
आपकी वाहवाही से तो बस पूछिए मत अजब सा सुकून मिलता है ह्रदय को 
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार  
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:48pm
आदरणीय अजय खरे सर जी सादर प्रणाम 
आपसे मिली इस सराहना के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार 
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:47pm

आदरणीय चरण जीत जी सादर 
ये पञ्च चामर एक छंद है जिसके विधान में हम लघु गुरु मात्राएँ क्रमशः लेते हैं 
आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 8, 2013 at 11:30am

sandeep ji aap badia likhte he kafi deep jakar badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
8 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service