For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राहबर जब हवा हो गई
नाव ही नाखुदा हो गई

प्रेम का रोग मुझको लगा
और दारू दवा हो गई

जा गिरी गेसुओं में तेरे
बूँद फिर से घटा हो गई

चाय क्या मिल गई रात में
नींद हमसे खफ़ा हो गई

लड़ते लड़ते ये बुज़दिल नज़र
एक दिन सूरमा हो गई

जब सड़क पर बनी अल्पना
तो महज टोटका हो गई

माँ ने जादू का टीका जड़ा
बद्दुआ भी दुआ हो गई

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 11, 2013 at 8:25pm

धन्यवाद  आशीष नैथानी 'सलिल' जी

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 11, 2013 at 7:10pm

माँ ने जादू का टीका जड़ा

बद्दुआ भी दुआ हो गई........   Bahut Khoob !!!!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 11, 2013 at 6:54pm

धन्यवाद  SANDEEP KUMAR PATEL साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 11, 2013 at 6:53pm

शुक्रिया  PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 11, 2013 at 4:44pm
आदरणीय धर्मेन्द्र सर जी सादर प्रणाम 
बहुत सुन्दर अशआर हैं  छोटी बहर में  कमाल कर दिया आपने  
ढेरों दाद क़ुबूल कीजिये 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 11, 2013 at 4:15pm

माँ ने जादू का टीका जड़ा

बद्दुआ भी दुआ हो गई 

एक से बढ़ कर एक , सर जी 

सादर बधाई. 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 11, 2013 at 1:45pm

शुक्रिया  Dr.Prachi Singh जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 11, 2013 at 1:45pm

बहुत बहुत शुक्रिया नादिर ख़ान साहब


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 11, 2013 at 12:34pm

चाय क्या मिल गई रात में

नींद हमसे खफ़ा हो गई...........सामान्य सी बात को कितनी ख़ूबसूरती से शेर में ढाला है, वाह 

हार्दिक बधाई इस ग़ज़ल के लिए.

Comment by नादिर ख़ान on January 10, 2013 at 11:35pm

माँ ने जादू का टीका जड़ा

बद्दुआ भी दुआ हो गई 

बहुत सही कहा अदरणीय धर्मेंद्र जी.

माँ की दुआ मे वो ताकत है की ज़हर को भी अमृत कर दे .

वैसे सभी शेर लाजवाब  हैं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service