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मिटा सके जो
अन्तस का अंधेरा
रौशनी कहाँ

सागर में भी
गहराइयाँ कहाँ
डुबा सके जो


पैसा ही पैसा
पर नहीं है कहीं
मन का सुख


खुश हो सकें
सबकी खुशी पर
वो खुशी कहाँ

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Comment

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Comment by Neelam Upadhyaya on November 4, 2010 at 10:25am
धन्यवाद योगराज जी ।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 4, 2010 at 10:21am
वाह नीलम
दिलकश हाइकु
जीती रहिए !
Comment by Neelam Upadhyaya on November 4, 2010 at 9:57am
धन्यवाद बागी जी, एतना बढ़िया हाइकू में तारीफ देख के मन अघा गइल आ हिम्मत बढ़ गइल ।
Comment by Veerendra Jain on November 4, 2010 at 12:11am
Neelamji बहुत बहुत धन्यवाद... आपने इतने विस्तार पूर्वक इस बारे मे जानकारी दी... बहुत बहुत आभार

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 3, 2010 at 8:37pm
छोटी कविता
खुबसूरत नाम
विधा हाइकू

नीलम दीदी
सुंदर अभिव्यक्ति
और की इच्छा
Comment by Neelam Upadhyaya on November 3, 2010 at 12:28pm
धन्यवाद वीरेन्द्र जी । हिंदी साहित्य में 'हाइकु' एक नवीनतम विधा है। हाइकु मूल रूप से जापानी कविता है । यह तीन पंक्तियों में लिखी जाती है । हिंदी हाइकु के लिए पहली पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ अक्षर और तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर, इस प्रकार कुल १७ अक्षर होने चाहिए। इसे डा० जगदीश व्योम ने इसे तरह परिभाषित किया है -

"हाइकु सत्रह (१७) अक्षर में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ और तीसरी में ५ अक्षर रहते हैं। संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है, जैसे 'सुगन्ध' में तीन अक्षर हैं - सु-१, ग-१, न्ध-१) तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए। अर्थात एक ही वाक्य को ५,७,५ के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है। बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों।"
Comment by Veerendra Jain on November 2, 2010 at 2:32pm
खुश हो सकें
सबकी खुशी पर
वो खुशी कहाँ

bahut hi sunder vichar hain..neelam ji...
kya aap please muje bata sakti hain ki haiku likhne ke exactly rules kya hote hain??
Comment by आशीष यादव on November 2, 2010 at 6:11am
पैसा ही पैसा
पर नहीं है कहीं
मन का सुख

bilkul sahi.

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