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  उस बस में जगह की वैसी ही किल्लत थी, जैसी मुंबई में पानी की है ! पर ये किल्लत मेरे पहुँचने के बाद हुई, इसलिए मुझे सीट मिल गई थी, और मै बैठा था ! अगला स्टॉपेज आया, यहाँ पर्याप्त लोग उतर गए, कुछ चढ़े भी, पर उतरने की मात्रा ज्यादा थी ! इसलिए अब बस में कुछ हल्कापन था ! बस में चढ़ने वालों में एक लड़की भी थी, जोकि मेरे पास आकर बोली, “थोड़ी जगह मिलेगी?” मै अपनी जगह से जरा सा खिसककर उसको जगह दिया ! उस लड़की के तत्काल बाद, याकि उसके पीछे ही एक लड़का भी बस में चढ़ा, उस लड़के के विषय में मुझे अजीब बात ये लगी कि बस में पर्याप्त खाली जगह होने के बावजूद भी, वो मेरी सीट के बगल में आके खड़ा हो गया ! पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया ! बस चल दी ! बस में अब पर्याप्त शांति थी ! मैंने सीट की पुश्त से सिर टिकाकर आँखें मूँद लीं, सफर अभी लंबा था !

  कुछ ही समय बीता था कि मुझे अपने बगल में बैठी लड़की में कुछ हरकत महसूस हुई ! मैंने आँखें खोलीं, तो देखा कि मेरी सीट के बगल में खड़ा वो लड़का, उस लड़की का दुपट्टा खीँच रहा है और वो बारबार अपना दुपट्टा सम्हाल रही है ! जब मैंने उधर देखा, तो उस लड़के ने दुपट्टा छोड़ दिया ! वैसे, अगर वो नही छोड़ता तो भी मै वापस आँखे बंद करने के सिवाय कुछ नही करता, क्योंकि इस समाजसेवा में पड़कर मुझे अपना इंटरव्यू संकट में नही डालना था ! आज मेरा इंटरव्यू था, मै वहीँ जा रहा था ! खैर, मैंने फिर आँखें मूँद लीं ! थोड़ी देर बाद हरकतें फिर शुरू हो गईं, क्योंकि मुझे महसूस हो रहा था कि वो खुद को बचाने का प्रयास कर रही है ! मगर अबकी मैंने आँखें नही खोलीं ! मुझे नींद आ गई !

“क्या चाहते हो तुम?” इस जोरदार आवाज से अचानक मेरी नींद टूटी ! मैंने देखा कि ये वही लड़की थी, जिसे वो लड़का छेड़ रहा था ! वो अभी उसी लड़के से मुखातिब थी, “तुम पिछले स्टॉपेज से ही मेरे पीछे पड़े हो, बस में भी आ गए ! वहाँ स्टॉपेज पे तो बड़ी रानी-महारानी बनाने की बातें कर रहे थे ! वैसे, तुम कहाँ के, कौन-से राजा हो जो मुझे रानी बनाओगे ! कितना कमाते हो ? जरा बताओ तो ?” वो लड़की इतना कहकर चुप हो गई !

 अब बारी उस लड़के की थी ! वो बोला, “मै एक कम्प्युटर इंजीनियर हूं ! इस शहर की टॉप फलां कंपनी में ! मै कितना कमाता हूंगा, इसका अंदाजा तुम खुद लगा सकती हो ! समझी मैडम !”

“तुम जिस टॉप फलां कंपनी की बात कर रहे हो, उस टॉप कंपनी के मैनेजर का ऑफर मै रिजेक्ट कर चुकी हैं ! सिर्फ इसलिए कि मुझे वहाँ भी तुम्हारे जैसे ही कुछ जीव दिखाई दिए और मै ऐसे लोगों के साथ काम नही कर सकती ! और जहाँ तक बात कमाई और नौकरी की है, तो देश-विदेश से कईयों ऑफर पड़े हैं ! पर मै ऐसी जगह जाना चाहती हु, जहाँ तुम्हारे जैसे जीव ना हों ! तुम्हारे विश्वास के लिए एक ऑफर लेटर तो तुम्हे अभी दिखाती हूं !” ये कहते हुवे उसने अपने पर्स से एक कागज निकालकर दिखाया ! वाकई में वो मैनेजर की पोस्ट के लिए ऑफर था ! वो फिर बोली, “अब तो तुम्हे पता चल होगा कि तुम क्या हो और मै क्या ?”

 वो लड़का अवाक् सा खड़ा था ! शायद अब बोलने के लिए उसके पास कुछ था भी नही ! कुछ पल बाद वो बड़ी मुश्किल से बोला, “सों...सा...सॉरी...आय एम रेली सॉरी फॉर दैट ! मुझे...!” वो बोल ही रहा था कि वो उसकी बात काटके बीच में ही बोल पड़ी, “किस बात की सॉरी और क्यों? वहाँ स्टॉपेज पे जब मेरी कमर में हाथ डाल रहे थे, जब मेरा दुपट्टा खींच रहे थे, तब सॉरी नहीं हुई तो अब किस बात की सॉरी ! तुम मेरे पीछे पड़े हो, शायद मै तुम्हे पसंद हूं ! चलो एक ऑफर रखती हूं – मुझसे शादी कर लो – बस एक हाँ करो, तो आगे आनेवाले मंदिर पे ही शादी कर लेंगे ! मुझे कोई दिक्कत नही है ! जल्दी जवाब दो !”

 सब उस लड़की को हैरानी से देख रहे थे ! और वो लड़का, उसके मुह से तो आवाज ही नही निकल रही थी ! बड़ी मुश्किल से बोला, “शा...शादी...मै कैसे तुमसे शादी कर सकता हूं ! कोई जान-पहचान नहीं, मम्मी-पापा से पूछे बगैर, और वो भी मंदिर में ! नहीं...कभी नही !” इतना कहकर वो चुप हो गया !

“क्यों?” वो लड़की ज़रा तेज आवाज में बोली, “मेरे कमर में हाथ पहचान के डाला था या मम्मी-पापा से पूछकर ! जब इसके लिए पूछने की जरूरत नही तो फिर शादी के लिए क्यों ? तेरे जैसे छः नम्बरी से तो मै खुद ही शादी नही करूंगी !” इतना कहकर वो चुप हो गई !

 अब सब उस लड़के को देख रहे थे, उसकी हालत तो फोटो खींचने लायक थी !एकदम सिर झुकाए, निरुत्तर, पाषाण-प्रतिमा सम खड़ा था कि तभी बस रुकी और वो लड़की उतर गई ! संयोग से मुझे भी यहीं उतरना था ! मै भी उतर गया ! बस चल दी !

 उतरकर, मै अपनी मंजिल की ओर बढ़ने ही वाला था कि तभी मेरी निगाह उसी लड़की पर पड़ी ! मैंने देखा कि वो अपना ऑफर लेटर निकाल कर एक कार में बैठी लड़की को दे दी ! फिर कुछ पल बात करके वो कार वाली लड़की चल दी ! मुझे कुछ समझ न आया कि आखिर इसने अपना ऑफर लेटर दूसरे को क्यों दे दिया ? अंततः मुझसे नही रहा गया और मै जाकर उससे पूछ पड़ा, “हेलो ! तुमने अपना ऑफर लेटर उसे क्यों दे दिया ?” मुझे डर था कि कहीं इस प्रश्न के बाद मेरी भी हालत उस बस वाले लड़के जैसी मत हो जाय ? पर ऐसा कुछ नही हुवा ! वो बड़े शांत लहजे में बोली, “वो ऑफर लेटर उसीका था, मेरा नही ! इसके अलावा भी बस में जो कुछ कहा वो हिंदी सिनेमा के डायलोग्स से अधिक कुछ नही था ! मेरी हकीकत ये है कि मै एक साईबर कैफे में पढ़ाती हूं ! उसवक्त जो कहा वो उस लड़के के लिए था ! ये सब सुनने के बाद उस छः नम्बरी की हालत तो तुमने देखी ही ! ऐसे लोगों से दबना ही गुनाह है !” इतना कहकर वो चली गई !

 मेरे होठों पर हल्की मुस्कान आ गई थी ! मै सोच रहा था, “अबतक बहुतों चप्पल, सैंडल, तमाचों आदि के किस्से सुने और देखें थे ! पर ये बड़ा ही विलक्षण तमाचा है जो शायद एक पढ़े-लिखे लड़के को दिग्भ्रमित होने से बचा लेगा, बशर्ते कि उसे ये याद रहे !” यही सब सोचते हुवे मै चल दिया !

 

-पियुष द्विवेदी ‘भारत’

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Comment by rajesh kumari on December 5, 2012 at 10:45am

ये उस लड़के के गाल पर नहीं उसके अस्तित्व उसके दिमाग पर तमाचा था पढेलिखे लड़के बस लड़कियों की क्वालिफिकेशन के सामने ही हार मानते हैं फिर भी ये कहूँगी की उस लड़के में फिर भी कोई लिहाज बाकी  थी जो अंत में उसने सारी बोल दिया ,बहुत अच्छी एक सबक देती हुई कहानी है बहुत बहुत बधाई 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on December 5, 2012 at 10:09am

धन्यवाद लक्ष्मण जी...!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 5, 2012 at 10:06am

यह सुन्दर और अलग तरह का तमाचा पसंद आया । इस तरह के तमाचे से न कोई द्दंगा फिसाद  की जरूरत न ही पुलिस में शिकायत दर्ज की आवश्यकता पर लड़का स्वतः मुंह लटकाए निशब्द  | सुन्दर कहानी की लिए हार्दिक बधाई पियूष द्वेदी जी 

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