For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा :- तरकीब
ठाकुर साहब की चाकरी करते करते भोलुआ के बाबूजी पिछले महीने चल बसे, अब खेत बघार का सारा काम भोलुआ ही देखता था, बदले मे ठाकुर साहब ने जमीन का एक टुकड़ा उसे दे दिया था जिससे किसी तरह परिवार चलता था | ठाकुर साहब भोलुआ को बहुत मानते थे, सदैव भोलू बेटा ही कह कर बुलाते थे | ठाकुर साहब द्वारा इतना सम्मान भोलुआ के प्रति प्रदर्शित करना उनके बेटे विजय बाबू को जरा भी नहीं सुहाता था | दोपहर को ठाकुर साहब परिवार के साथ बैठ कर भोजन कर रहे थे साथ ही खेत खलिहान की भी बात किये जा रहे थे | मौका देख विजय बाबू आखिर पूछ ही बैठे ,
"पिता जी, हम लोग जमींदार खानदान से है, हमारे पुरखे हमेशा सामंती विचारधारा के रहे है, भोलुआ निचली जाति का लड़का है और आप उसे बेटा कह कर बुलाते है, यह मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता"

"बेटा अब समय वो नहीं रहा कि किसी से जबरन काम करा लिया जाय, भोलुआ जितना काम करता है उसके लिए यदि हम कोई आदमी रखते तो हमें हर महीने १५-२० हज़ार देना पड़ता, किन्तु भोलुआ को हम क्या देते है समझो कि कुछ भी नहीं, वो ठहरा मूर्ख लड़का केवल बेटा कह भर देने से वो सारा काम मन लगाकर करता है"
"समझ गया बाबूजी, सामंती तो हम लोग आज भी है केवल तरकीब बदल गयी है"

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2012 at 2:06pm

आदरणीया शन्नो दीदी, आपका प्रोत्साहन मुझे अग्रेतर लिखने हेतु प्रेरित करता है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2012 at 2:04pm

आदरणीय सौरभ भईया, लघुकथा के निहित भाव को सराहने हेतु आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2012 at 2:03pm

वीनस जी, अच्छी "प्रतिक्रिया" हेतु आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2012 at 2:02pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, लघुकथा को सराहने और समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु आभार स्वीकार करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 22, 2012 at 5:57pm

सच में गरीब की भावनाओं का कोई मोल नहीं प्यार से बोलकर उनकी भावनाओं से कैसे खिलवाड़ किया जाता है यह लघु कथा से साफ़ प्रदर्शित हो रहा है बहुत अच्छा  लिखा बधाई आपको आदरणीय गणेश जी 

Comment by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 12:34pm

 सामंती तो हम लोग आज भी है केवल तरकीब बदल गयी है|

सही  है हमेशा गरीब किसी न किसी रूप मे छले जाते हैं ।

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 22, 2012 at 12:30pm

आदरणीय बागी जी, सादर 

इन्तजार रहता है आपकी लघु कथा का..

सच ही कहा सामंतवादी व्यवस्था शायद कभी न बदल पायेगी. ऐसे हि शोषण होता रहेगा. 

बधाई. 

Comment by Shanno Aggarwal on November 22, 2012 at 11:49am

समय बदलने से बिचारधारा बदलनी पड़ती है लोगों के प्रति. अब उस तरह काम करने वाले कितने मिलते हैं ये सोचकर बड़ों को बड़ी समझदारी से काम लेना पड़ता है नौकरों से ये इस कहानी से कितना जाहिर हो रहा है. गणेश, अपनी लघु कथाओं में हमेशा एक ट्वीस्ट देते हो,  कुछ न कुछ इंसान को सीख देती हुई या सावधान करती हुई. बधाई ! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 22, 2012 at 6:38am

कथा में भावनात्मक दोहन अच्छी तरह से उभर कर आया है. बधाई स्वीकारें, गणेशभाई.

Comment by वीनस केसरी on November 22, 2012 at 3:38am

अच्छी ''तरकीब'' है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service