For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीप-ज्यौति के पावन पर्व पर
मुझको, माँ लक्ष्मी ऐसा वर दे |
उज्जवल वस्त्र, सुरभित तन-मन,
सुगन्धित मधुवन सा घर-आँगन दे |
सरस-मलाई मधुमय-व्यंजन दे |
तिमिर छट जाये जीवन में.
जीवन ज्योतिर्मय हो जाये |
आगंतुक का स्वागत करने
पलक पावडे बिछे नयनों में,
दिल में अपनापन हो,
ऐसा मुझको मन-मयूर दे |
सरस्वती के साधक
"लक्ष्मण" पर माँ शारदे,
तेरा वरदहस्त रखदे ।
ध्यान करू मै तेरा और-
आनंदित करू जन-जन को,
कोकिल कंठी स्वर देकर,
मेरे मन गीतों से भर दे,
जीवन ज्योतिर्मय करदे ।
.. 
- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
कृष्ण-साकेत,165 गंगोत्री नगर,
गोपालपुरा बाईपास, टोंक रोड,जयपुर-18

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 15, 2012 at 9:15am

गीत के भावों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, 

आपकी टिपण्णी से मुझे गीत लिखने की प्रेरणा मिली मित्र श्री अशोक रक्ताले जी 
Comment by Ashok Kumar Raktale on November 15, 2012 at 7:49am

वाह! बहुत सुन्दर भाव युक्त गीत के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय लड़ीवाला जी.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2012 at 5:56pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी आपकी शुभकामनाए अवश्य ही माँ शारदा सुनेगी ऐसी पूर्ण आशा है ।रचना अभिव्यक्ति पर आपकी सापेक्ष टिपण्णी के लिए हार्दिक आभार । इस ज्योतिर्मय पर्व पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभ कामनाए ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2012 at 5:50pm

साभार आपको भी दीपावली की सपरिवार हार्दिक शुभ कामनाए श्री फूल सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 12, 2012 at 4:19pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी आपकी यह भावनाएं साकार रूप लें ऐसी ही शुभकामनाएं है. हार्दिक बधाई इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए.

Comment by PHOOL SINGH on November 12, 2012 at 1:07pm

लक्ष्मण  जी प्रणाम.......

सुंदर अतिसुंदर भावपूर्ण रचना......"सपरिवार सहित आपको शुभ दीपावली"

फूल सिंह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service