For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राष्ट्रीय दामाद से पंगा? (व्यंग गीत)

In practice, a banana republic is a country operated as a commercial enterprise for private profit, effected by the collusion (मिलीभगत) between the State and favoured monopolies, whereby the profits derived from private exploitation of public lands is private property, and the debts incurred are public responsibility.

http://en.wikipedia.org/wiki/Banana_republic

                                                        (Google Images)

राष्ट्रीय  दामाद  से  पंगा? (व्यंग गीत) 

अरे    मूर्ख,   राष्ट्रीय   दामाद  से   क्यूँ   लिया   तुने   पंगा..!

लगता  है, `बनाना   रिपब्लिक` अनादि  से   है  भिखमंगा..!

(अनादि= अनंत )

१.मंत्रीजी   उवाच,   `पुरानी   पत्नी   वो   मज़ा   नहीं   देती ?`

सच  होगा  शायद, साबित  हो गया  शौहर   घोर  लफंगा ?

अरे    मूर्ख,  राष्ट्रीय   दामाद  से  क्यूँ   लिया    तुने  पंगा..!

 

२.मंत्रीजी  उवाच,`उनके   लिए  हमारी   जान भी   हाज़िर   है ?` 

सच    कहा,  सारा   देश   मरता  है  तो   मरे,  भूखा-नंगा..!

अरे    मूर्ख,  राष्ट्रीय   दामाद  से  क्यूँ   लिया    तुने  पंगा..!

 

३.यहाँ   कौन   करेगा   जांच,  राष्ट्रीय    रद्दी   दामादों   की ?  

सुना  है, उनके  मन-मंदिर से  ज़्यादा  शौचालय  है  चंगा ?

अरे    मूर्ख,  राष्ट्रीय   दामाद  से  क्यूँ   लिया    तुने  पंगा..!

(रद्दी=  अनुपयोगी)


४.
देश  की   बरबादी   का   दूसरा  नाम  रख   दो `इतालिया` ?

फिर, बिना  शरम  कहो,  मेरे  अलावा  पूरा   देश   है  नंगा..! 

अरे    मूर्ख,  राष्ट्रीय   दामाद  से  क्यूँ   लिया    तुने  पंगा..!

(इतालिया= चारागाह= वह भूमि जो पशुओं के चरने के लिए खाली छोड़ दी गई हो )


नोट-  अ..रे.., बुरा  मत  मानना, आप  मज़ाक  भी  नहीं  समझते  क्या? 


मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०९-०९-२०१२.

Views: 3541

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 14, 2012 at 6:42pm

राष्ट्रीय दामाद या खान्ग्रेसी दामाद :-)

जो हो पर बहुत ही सुन्दर व्यंग को सृजित किया है आदरणीय, गहरी छाप छोड़ रही है यह रचना | बधाई दवे साहब |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 12, 2012 at 11:07am

हास्य में भी बहुत गम्भीर बातें कहीं गईं हैं जो हर देशभक्त की आत्मा को झिझ्कोरती हैं, इस सार्थक काव्य-अभिव्यक्ति हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय मार्कंड दवे जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 12, 2012 at 11:06am
हास्य में भी बहुत गम्भीर बातें कहीं गईं हैं जो हर देशभक्त की आत्मा को झिझ्कोरती हैं, इस सार्थक काव्य-अभिव्यक्ति हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय मार्कंड दवे जी.
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 11, 2012 at 12:41pm

समसामयिक राष्ट्रीय  दुर्घटनाओं पर आधारित ये व्यंग गीत विचलित करता है मजाक में भी
बहुत सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 11, 2012 at 10:26am

वर्तमान परिप्रेक्ष में सर्वोत्तम व्यंग रचना, बहुत बधाई श्री मार्कंड दावे जी

Comment by seema agrawal on October 10, 2012 at 3:07pm

आपके मज़ाक में इस क़द्र  सच्चाई है कि कोई सच्चा हिन्दुस्तानी इस पर खुल कर हँस भी नहीं सकता  .....बहुत बढ़िया तंज वर्तमान किस्सों पर ...दिली मुबारक बाद मार्कण्ड दवे जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service