For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(१) फूटे बम चल जाए गोली,
नहीं निकलती मुँह से बोली |
बाहर आता खाने राशन,
क्या भई चूहा? नहिं रे "शासन" ||

(२) ताने घूँघट औ शरमाए,
तड़पा के मुखड़ा दिखलाए |
रोज दिखाए जलवा ताजा,
क्या मेरी भाभी? नहिं तेरा "राजा" ||

(३) चलते पूरी सरगर्मी से,
सुनते ताने बेशर्मी से |
बातों से पूरे बैरिस्टर,
क्या कोई लुक्खा? नहिं रे "मिनिस्टर" ||

(४) बातों से लगता है झक्खी,
नहीं भिनकने आती मक्खी |
डांटे मैडम बँधती घिग्गी,
क्या कोई पागल? नहिं रे "दिग्गी" ||

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 16, 2012 at 7:25am

आदरणीय गुरुदेव...आपका स्नेह और विश्वास सर-आँखों पर.....आपकी बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ....आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2012 at 7:56pm

कह-मुकरियों पर भाई अजीतेन्दु आपकी पहली कोशिश अत्यंत ही भली लगी है. एक तो कह-मुकरी दूसरे हास्य !  लेकिन आपसे एक अनुरोध के साथ एक महत्त्वपूर्ण बात साझा कर रहा हूँ.

साहित्य हेतु समर्पित इस सात्विक मंच पर व्यक्तिगत आक्षेप (भले ही हास्यपरक) चाहे वह किसी तथाकथित राजानीतिबाज पर ही क्यों न हो उचित प्रतीत नहीं होता. हम व्यवस्था और वर्तमान देश-हाल पर असहज हो कर अपने भाव बेशक रख सकते हैं. किन्तु, व्यक्ति विशेष पर कोई सीधी रचना कंट्रोवर्सियल हो जाती है. मंच की प्रबन्धन टीम ने इस संदर्भ में पहले ही विचार कर लिया है.

आपके माध्यम से यह बात अन्य सभी रचनाकारों से साझा की जा रही है.

आपकी रचनाधर्मिता के प्रति पूर्ण आश्वस्ति है, भाई.   शुभ-शुभ !!

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 15, 2012 at 7:06pm

आदरणीया रेखा जी.........जिस देश का राजा संवेदनहीन हो जाए उस देश का कभी भला नहीं होनेवाला......ऊपर से उनके चमचे......बाप रे बाप........इन्हें और क्या कहा जाए........रचना को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 15, 2012 at 7:03pm

आदरणीया राजेश जी........दरअसल मेरी ये कह मुकरियाँ जनता की उस भावना को दिखा रही हैं जिसमें ऐसे लोगों के प्रति एक गुस्सा है......ये लोग खुद तो कुछ करते नहीं उल्टे कुछ करनेवालों की टाँग खींचते है......इन्हें और क्या कहा जाए........रचना को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार.......

Comment by Rekha Joshi on September 14, 2012 at 11:54am

बातों से लगता है झक्खी,
नहीं भिनकने आती मक्खी |
डांटे मैडम बँधती घिग्गी,
क्या कोई पागल? नहिं रे "दिग्गी" ||,बहुत बढ़िया गौरव जी ,बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 14, 2012 at 10:54am

बातों से लगता है झक्खी,
नहीं भिनकने आती मक्खी |
डांटे मैडम बँधती घिग्गी,
क्या कोई पागल? नहिं रे "दिग्गी" || हाहाहा वाह वाह अजीतेंदु जी लगता है ओ बी ओ पर आचार संहिता लगवाओगे एनी वे बहुत बढ़िया रोचक ,सामयिक कह मुकरियाँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service