For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिसमे राष्ट्रिय मान  भी  हो!

दूजों के प्रति सम्मान  भी हो!

अभिमान नही किंचित मन में,

पर दृढ़मय स्वाभिमान भी हो!

 

वाणी  से  केवल सत्य कहे!

जो सत्य हेतु  हर कष्ट सहे!

निर्बल का जो बल बन जाए!

परदुख से जिसके  नैन  बहें!

उस अदृश्य को ही मैंने, मन समर्पित कर दिया है!

हाँ  वही  मेरी  प्रिया  है, हाँ  वही  मेरी प्रिया है!

 

जो  अत्याचार  विरोधी  हो!

अन्याय-राह   अवरोधी  हो!

पथभ्रष्ट जनों की खातिर तो,

सत्पथ-दायक  सम्बोधी  हो!

 

जो  धीर   रहे  गंभीर  रहे!

जीवन  रण  में तो वीर रहे!

निज हेतु भले कुछ शेष नही,

पर याचक हेतु  अमीर  रहे!

 

तन में बेशक  चंचलता  हो!

पर मन में बृहद अटलता हो!

हो लाख निराशा पर खुद  से,

विश्वास न जिसका गलता हो!

उस सत्व-सुंदरी ने ही, मन का हरण कर लिया है!

हाँ  वही  मेरी  प्रिया  है, हाँ  वही मेरी  प्रिया है!

 

कुछ राह कठिन जब आ जाए!

औ’  मेरा  मन  घबरा  जाए!

उसका  सहयोग  हो ऐसा  कि

हर मुश्किल  सरल  करा जाए!

 

सुख-दुःख कोई भी  रंग  रहे!

प्रतिक्षण-प्रतिपल वो संग रहे!

कैसे भी क्षण हो  जीवन  में,

बनकर  के  मेरा  अंग  रहे!

बसते हों जिसमे ये गुण, वो राधा वही सिया है!

औ’  वही  मेरी  प्रिया है, हाँ वही मेरी प्रिया है!

 

                   - पियुष द्विवेदी ‘भारत’

Views: 553

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 3, 2012 at 7:23am

Ravi Kumar Giri

शुक्रिया भाई.........

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 3, 2012 at 7:22am

Dr.Prachi Singh

बहुत-बहुत धन्यवाद प्राची जी..बस यूं ही थोड़ी बहुत कलम चला लेते हैं!

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 3, 2012 at 7:20am

Saurabh Pandey

शुक्रिया सौरभ जी.....

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 3, 2012 at 7:19am

Er. Ganesh Jee "Bagi"

धनयवाद जी......इस विशिष्टि की प्रेमिका मिलना बेशक कठिनतम है, पर हमेशा सौ फीसदी की आशा करनी चाहिए, क्योंकि तभी सत्तर-अस्सी फीसदी भी प्राप्त होगा ! पुनः धन्यवाद!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 10:59pm

रचना हेतु बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2012 at 6:40pm

सुख-दुःख कोई भी  रंग  रहे!

प्रतिक्षण-प्रतिपल वो संग रहे!

कैसे भी क्षण हो  जीवन  में,

बनकर  के  मेरा  अंग  रहे!

बसते हों जिसमे ये गुण, वो राधा वही सिया है!

औ’  वही  मेरी  प्रिया है, हाँ वही मेरी प्रिया है!

 
बहुत सुन्दर कल्पना, सुन्दर शब्द, सुन्दर प्रवाह, और सुन्दर भाव प्रिया... इस रचना हेतु आर्दिक बधाई पियूष द्विवेदी जी
Comment by Rash Bihari Ravi on September 1, 2012 at 3:43pm

जो  अत्याचार  विरोधी  हो!

अन्याय-राह   अवरोधी  हो!

पथभ्रष्ट जनों की खातिर तो,

सत्पथ-दायक  सम्बोधी  हो!

मन को धन्य धन्य कर दिया ,
आपको बनना हैं येसी की प्रिया ,
भाई मन को वैसा ही कर लो ,
आँखे बंद करके देखो पा लिया ,
खुबसूरत आपकी रचना
 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2012 at 3:15pm

पियूष जी, जिस विशिष्टि की प्रेमिका चाहिए वो आज के समय में मिलना जरा कठिन है :-) थोडा बहुत निगोसियेसन कीजिये तो सम्भावना अत्यधिक प्रवलित है हा हा हा ...

बहुत ही प्यारी रचना, बहुत बहुत बधाई |

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 1, 2012 at 11:08am

धन्यवाद फूल सिंह जी........

Comment by PHOOL SINGH on September 1, 2012 at 11:06am

पीयूष  जी प्रणाम,

आपका बहुत ही सुंदर रचना बधाई ................

फूल सिंह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service