For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बुजुर्गों के पाँव तले जन्नत का आभास होता है 

सभी रिश्तों में उनसे रिश्ता बहुत खास होता है 

जिस घर में मात कौशल्या दशरथ तात नहीं होते

वो  अपना घर नहीं होता वहां वनवास होता है 

क्यूँ भूलते हम अपना जीवन उनके ही  दम से है 

उनके बिना  तो घर का आँगन भी उदास होता है 

तमस के साए पनपते हैं वहां उनके अनादर से     

उनकी ख़ुशी से घर के हर कोने में उजास होता   

जहां वृद्धों का हो निरादर छत वो सुरक्षित है कहाँ   

उनकी चरण वंदना में देवों का वास होता है 

             **********  

Views: 600

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 3, 2012 at 9:01am

कपूर रस्तोगी जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2012 at 9:09pm

हार्दिक आभार प्रिय संदीप कुमार पटेल जी जिसने इस सच्चाई को समझ लिया वहां वृद्धाश्रम जैसी संस्थाओं की जरूरत नहीं होगी हमारी आधुनिक पीढ़ी इस सच्चाई से भटक रही है इसी लिए ये भाव रचना के रूप में उभरे 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2012 at 9:05pm

हार्दिक आभार रेखा जी आपको रचना पसंद आई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 11, 2012 at 2:07pm

बहुत सुन्दर बात कही है आदरणीया आपने चाँद पंक्तियों में सारतत्व कह डाला है इस जीवन का जिससे लोग जानबूझ कर दूर होते जा रहे हैं
आत्मसुख की खोज में भटक रहे हैं सर्वसुख की परिपाटी को भुला चुके हैं
साधुवाद इस रचना के लिए आपको
स्नेह भरा ये आशीष यूँ ही लुटाते रहिये

Comment by Rekha Joshi on August 11, 2012 at 1:56pm

जहां वृद्धों का हो निरादर छत वो सुरक्षित है कहाँ   

उनकी चरण वंदना में देवों का वास होता है ,बुजुर्गों को समर्पित इस सुंदर रचना पर बहुत बहुत बधाई आदरणीय राजेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2012 at 1:28pm

कुमार गौरव अजीतेंदु  जी रचना पसंद आई हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2012 at 1:27pm

प्रिय प्राची जी हार्दिक आभार रचना को सराहने हेतु 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 11, 2012 at 12:54pm
वाह राजेश जी, बहुत ही सुन्दर और शिक्षाप्रद रचना। हार्दिक बधाई।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 11:53am

बुजुगों को समर्पित इस रचना हेतु हार्दिक साधुवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service