For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥

तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥

 

भले जुड़ जाये समझौते से पहले सा नहीं रहता,

मुहब्बत का अगर इक बार शीशा टूट जाता है॥

 

क़ज़ा की आंधियों के सामने टिकता नहीं कोई,

सिकंदर हो कलंदर हो या दारा टूट जाता है॥

 

कभी हिम्मत नहीं हारा जो मीलों मील उड़कर भी,

कफ़स में क़ैद होकर वह परिंदा टूट जाता है॥

 

यूं चलना चाहते तो है सभी राहे सदाक़त पर,

मगर भूंखे हो बच्चे तो इरादा टूट जाता है॥

 

हँसी होठों पे रखता है हजारों ज़ख्म खाकर भी,

मगर अंदर ही अंदर से दिवाना टूट जाता है॥

 

हो “सूरज” हौसला दिल में तो मंज़िल मिल ही जाएगी,

जो मौजें सर पटकती हैं किनारा टूट जाता है॥

  •  डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 995

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on August 4, 2012 at 12:51am

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥

तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥

मतले ने देर तक अपने पास रोके रखा ...
सभी शेर बढ़िया हुए हैं मगर मतले का कोई जवाब नहीं
वाह वा ... क्या कहने

बधाई

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 4, 2012 at 12:37am

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥

तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥दिल से दिल के रिश्तों का टूटना और सदियों के भरोसे का टूटना क्या बात है सूर्या बाली जी वाह वाह ...लुट लिया आपने

 भले जुड़ जाये समझौते से पहले सा नहीं रहता,

मुहब्बत का अगर इक बार शीशा टूट जाता है॥इस लाईन ने तो रहीम के दोहों की याद तरो ताजा कर दी.. पर आपका अंदाज भी काबिले तारीफ है  

क़ज़ा की आंधियों के सामने टिकता नहीं कोई,

सिकंदर हो कलंदर हो या दारा टूट जाता है॥अजीज नाजा की कव्वाली की एक लाईन थी

था सिकंदर के हौसले जो आली थे –जब गया था दुनिया से दोनों हाथ खाली थे आपने जो जिक्र  किया है कज़ा की आंधियों के सामने अद्भुत है बहुत सुन्दर   

 कभी हिम्मत नहीं हारा जो मीलों मील उड़कर भी,

कफ़स में क़ैद होकर वह परिंदा टूट जाता है॥ शेर में गहराई है उम्दा ..

 यूं चलना चाहते तो है सभी राहे सदाक़त पर,

मगर भूंखे हो बच्चे तो इरादा टूट जाता है॥यहाँ तो एक दम से भावुक कर दिया ...बहेतरीन

 हँसी होठों पे रखता है हजारों ज़ख्म खाकर भी,

मगर अंदर ही अंदर से दिवाना टूट जाता है॥ दर्द का सागर उड़ेल दिया है आपने

 हो “सूरज” हौसला दिल में तो मंज़िल मिल ही जाएगी,

जो मौजें सर पटकती हैं किनारा टूट जाता है

गज़ल की हर लाईन दमदार है आदरणीय सूर्या बाली जी आपकी इस  गज़ल ने तो लुट लिया है  आपसे गुजारिश है की आप ब्लॉग में कभी कभी ही दीखते है आपकी इतनी सुन्दर रचना के लिए हर कोई का दिल व्याकुल हो सकता है आपसे निवेदन है की हमें अपनी  लाजवाब गज़लों से तरबतर कर दो  हम आपके आभारी रहेंगे

 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 3, 2012 at 11:58pm

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥

तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥

आदरणीय सूरज जी ...बिलकुल सटीक और सत्य को दर्शाती सुन्दर गजल ....एक से बढ़कर एक ....

यूं चलना चाहते तो है सभी राहे सदाक़त पर,

मगर भूंखे हो बच्चे तो इरादा टूट जाता है॥

भ्रमर ५ 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 3, 2012 at 9:37pm

हो “सूरज” हौसला दिल में तो मंज़िल मिल ही जाएगी,

जो मौजें सर पटकती हैं किनारा टूट जाता है॥

आदरणीय  सूरज जी , हिम्मत बढ़ी. आभार 

Comment by yogesh shivhare on August 3, 2012 at 8:55pm

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥

तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥.....bahut umda panktiyan...Aadarniya sooraj ji....alfaaj nahi hai ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
19 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service