For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहानी (अपनी शर्म के लिए )

कहानी 
 
अपनी शर्म के लिए 

आज राखी का पावन त्यौहार था I बेचारा गरीब सुबह से ही नहा धोकर नई टी शर्त पहन कर बैठ गया किसी कोरियर वाले या डाकिए के इंतज़ार में क्योंकि उसकी कहने को तो चार बहनें थी लेकिन उनकी राखी उसे अब तक न मिली थी लेकिन उसे पूरी उम्मीद थी की आज तो राखी आएगी ज़रूर जिन्हें वह अपनी कलाई में पहनेगा I

दोपहर हो गई  लेकिन किसी कोरियर वाले या डाकिए ने दस्तक नहीं दी I बेचारा बार बार बेचैनी से कभी बाहर निकलता कभी बालकनी से नीचे झाँकता लेकिन  सब व्यर्थ I इंतज़ार इंतज़ार ही रहा शाम होने को आ गयी लेकिन न  कोई कोरियर वाला ही आया और न  डाकिया I शर्म के मारे बेचारा घर से बाहर भी नहीं निकला क्योंकि उसकी सूनी कलाइयाँ देखकर गली मोहल्ले वाले पूछते ज़रूर की राखी क्यों नहीं पहनी....? क्योंकि सबको मालूम था की उसकी चार चार बहनें हैं I
साँझ ढलते ही उसनें अपनी धर्मपत्नी से कहा मुझे ज़रा बाज़ार जाना है कोई पूरी बाजू वाली कमीज़ ला दो......पूरी बाजू वाली कमीज़.......उसकी पत्नी ने हैरान होकर पूछा इतनी गर्मी में.........और  इतनी शानदार टी शर्त तो पहनी ही  है फिर उसकी क्या ज़रुरत ....? यह सुनकर उसका पति बोला......मैं अगर पूरी बाजू वाली कमीज़ नहीं पहनूँगा  तो बेचारी मेरी बहनों की बेईज्ज़ती हो जाएगी ....................I अपनी शर्म के लिए मुझे यह सब करना पड़ेगा 
 
दीपक 'कुल्लुवी'
01 -08 -2012
09350078399 

Views: 400

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 3, 2012 at 2:39pm

शुक्रिया आशीष जी  अलबेला जी रेखा जी

मेरी  वैसे एक ही बहन है और वह बेचारी बहुत एडवांस  में राखी भेज देती है  

Comment by Albela Khatri on August 1, 2012 at 11:28pm

waah !

Comment by आशीष यादव on August 1, 2012 at 8:53pm

kuchh bhi ho ye bhi hakikat ho hi jati hai...

Comment by Rekha Joshi on August 1, 2012 at 8:37pm

दीपक जी ,बहनों से कुछ अनबन हो गई क्या ? मेरे ख्याल से तो बहने अपने भाई से बहुत प्यार करती है वह कहीं  भी हो सदा अपने भाई की सेहत और सुख समृधि की कमाना  ही करती है ,आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
22 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service