For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रीत के उपहार

छंद रूपमाला (१४ +१० ) अंत गुरु-लघु ,समतुकांत
*****************************************************
झनक झन झांझर झनकती , छेड़ एक मल्हार .
खन खनन कंगन खनकते, सावनी मनुहार .
फहर फर फर आज आँचल , प्रीत का इज़हार .
बावरा मन थिरक चँचल , साजना अभिसार .
*****************************************************
धडकनें मदहोश पागल , नयन छलके प्यार .
बोल कुछ बोलें नहीं लब, मौन सब व्यवहार .
शान्ति, चिर-स्थायित्व , खुशियाँ, प्रीत के उपहार .
झूमता जब प्रेम अँगना ,बह चले रसधार .
*****************************************************

Views: 819

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 24, 2012 at 10:53am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, 

सादर नमन.
आपको रूपमाला छंद पर मेरा यह  प्रयास रुचिकर लगा, इस हेतु हार्दिक आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2012 at 11:37pm

डा. प्राची, आपका पद्य-प्रयास छांदसिक होता जा रहा है. बहुत-बहुत बधाई.

धडकनें मदहोश पागल , नयन छलके प्यार .
बोल कुछ बोलें नहीं लब, मौन सब व्यवहार .
अद्भुत ! .. वाह !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2012 at 7:53pm
 आदरणीय संजय मिश्रा जी, आप सम प्रबुद्ध साहित्यकार द्वारा सराहना पाना, लेखन उत्साह को बहुत बढाता है.. इस उत्साहवर्धन हेतु आपका ह्रदय से आभार. सादर.
Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on July 23, 2012 at 6:44pm

वाह! सुन्दर रूपमाला, पढ़ खिला मन आज...

सुन्दर रूपमाला छंद हेतु सादर बधाई स्वीकारें आदरणीया डा प्राची सिंह जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2012 at 6:21pm
 आदरणीय रेखा जी, इस रचना को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2012 at 6:20pm

आदरणीय अलबेला जी, इस रूपमाला छंद आधारित रचना को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार.

Comment by Rekha Joshi on July 23, 2012 at 6:07pm

आदरणीया  प्राची जी ,सादर 

धडकनें मदहोश पागल , नयन छलके प्यार .
बोल कुछ बोलें नहीं लब, मौन सब व्यवहार .
शान्ति, चिर-स्थायित्व , खुशियाँ, प्रीत के उपहार .
झूमता जब प्रेम अँगना ,बह चले रसधार .अति सुंदर ,बहुत जी प्यारी छन्दमाला ,बहुत बहुत बधाई 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 23, 2012 at 1:41pm

डॉ० प्राची जी, आपका स्वागत है !

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 10:52pm

वाह वाह डॉ प्राची सिंह जी
बहुत प्यारी  रचना

धडकनें मदहोश पागल , नयन छलके प्यार .
बोल कुछ बोलें नहीं लब , मौन सब व्यवहार .

__खूब खूब अभिनन्दन !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 22, 2012 at 8:56pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपने इस रूपमाला छंद को सराहा, इस हेतु आपका हार्दिक आभार.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service