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दिल तुझसे ज़रा खफा है

आदरणीय गुरुजनों, मित्रों  आज मैंने ग़ज़ल लिखने का प्रयास ओ.बी.ओ. के द्वारा सिखाये गए नियमों का पालन करते हुए किया. कृपया मेरा मार्ग दर्शन करें, मैं सदा आभारी रहूँगा.
खास कर पूज्य योगराज जी, की टिपण्णी का इंतज़ार रहेगा.

नाराज हूँ मैं, दिल तुझसे ज़रा खफा है,
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है

खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला  
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,

डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,

मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है

धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 10:56am

जनाब केसरी साहब आपको पसंद आई और मनो बल बढ़ाने के लिए मेहरबानी.

Comment by वीनस केसरी on July 20, 2012 at 1:55am

वाह अनंत साहब क्या कहने
वाह वा

सीखने के क्रम में अच्छे शेर कह डाले हैं
बधाई स्वीकारें

लगे रहेंगे तो सब कुछ स्वतः सधता चला जायेगा ,,,,,,,
पुनः बधाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 1:43pm

शुक्रिया मित्र

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:41pm

शुभकामनाएँ ! :-)) :-))

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 1:09pm

आदरणीया रेखा जी बहुत-बहुत शुक्रिया अपना आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 1:08pm

मित्र अरुण जी आपके सुझाव का सम्मान करता हूँ. मित्र मैं आदरणीय तिलक राज कपूर की कक्षा का अभी-अभी छात्र बना हूँ.

Comment by Rekha Joshi on July 19, 2012 at 1:01pm

अरुण जी 

डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,.सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई 
Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:01pm

सुन्दर भाव ! एक मित्रवत सुझाव देना चाहूँगा -यदि आपने अभी तक नही लिया है तो आदरणीय तिलक राज कपूर सर की गज़ल की  कक्षा में प्रवेश ले लें ! सादर !

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 12:43pm

भ्राताश्री बहुत-बहुत शुक्रिया, आपके स्नेह से ही तो मुझे बल मिलता है, मुझे और ज्यादा अच्छा लिखने का हौसला मिलता है. आपकी टिपण्णी का बहुत बेशब्री से इंतज़ार रहता है.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 19, 2012 at 12:41pm

बहुत सुंदर प्रयास किया है भाई अरुण जी ! बहुत-बहुत बधाई मित्र ! ..........थोड़ी  देर में इस पर कुछ कहूँगा  ! सस्नेह

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