For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल तुझसे ज़रा खफा है

आदरणीय गुरुजनों, मित्रों  आज मैंने ग़ज़ल लिखने का प्रयास ओ.बी.ओ. के द्वारा सिखाये गए नियमों का पालन करते हुए किया. कृपया मेरा मार्ग दर्शन करें, मैं सदा आभारी रहूँगा.
खास कर पूज्य योगराज जी, की टिपण्णी का इंतज़ार रहेगा.

नाराज हूँ मैं, दिल तुझसे ज़रा खफा है,
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है

खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला  
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,

डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,

मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है

धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 10:56am

जनाब केसरी साहब आपको पसंद आई और मनो बल बढ़ाने के लिए मेहरबानी.

Comment by वीनस केसरी on July 20, 2012 at 1:55am

वाह अनंत साहब क्या कहने
वाह वा

सीखने के क्रम में अच्छे शेर कह डाले हैं
बधाई स्वीकारें

लगे रहेंगे तो सब कुछ स्वतः सधता चला जायेगा ,,,,,,,
पुनः बधाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 1:43pm

शुक्रिया मित्र

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:41pm

शुभकामनाएँ ! :-)) :-))

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 1:09pm

आदरणीया रेखा जी बहुत-बहुत शुक्रिया अपना आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 1:08pm

मित्र अरुण जी आपके सुझाव का सम्मान करता हूँ. मित्र मैं आदरणीय तिलक राज कपूर की कक्षा का अभी-अभी छात्र बना हूँ.

Comment by Rekha Joshi on July 19, 2012 at 1:01pm

अरुण जी 

डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,.सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई 
Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:01pm

सुन्दर भाव ! एक मित्रवत सुझाव देना चाहूँगा -यदि आपने अभी तक नही लिया है तो आदरणीय तिलक राज कपूर सर की गज़ल की  कक्षा में प्रवेश ले लें ! सादर !

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 12:43pm

भ्राताश्री बहुत-बहुत शुक्रिया, आपके स्नेह से ही तो मुझे बल मिलता है, मुझे और ज्यादा अच्छा लिखने का हौसला मिलता है. आपकी टिपण्णी का बहुत बेशब्री से इंतज़ार रहता है.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 19, 2012 at 12:41pm

बहुत सुंदर प्रयास किया है भाई अरुण जी ! बहुत-बहुत बधाई मित्र ! ..........थोड़ी  देर में इस पर कुछ कहूँगा  ! सस्नेह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service