For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो ख़्वाब उज़ागर क्यूँ  किये हमने 

सौ दर्द  ज़िगर को क्यूँ दिए हमने||

 जब करनी थी बातें कई हज़ार

वो लब  चुपके से क्यूँ सिये हमने||

ख़्वाब  बुनते रहे वो ही गलीचा 

 तलवे ये जख्मी क्यूँ किये हमने ||

 ता उम्र करते रहे  उन से  वफ़ा

ये जफ़ा के घूँट  क्यूँ पिए हमने ||

 दे के जहान  भर की दुआ उनको

मिटा दिए सुख के क्यूँ ठिये हमने  

 अश्क तो पलकों में ज़ब्त हो जाते 

 ये सब  हथेली पे  क्यूँ लिए हमने || 

             ********

Views: 557

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2012 at 10:55am

सुमधुर स्नेह के लिए आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2012 at 10:40am

प्रिय प्राची जी मेरे शब्द आपके दिल तक पंहुचे आपने सराहा मेरी कलम को और क्या चाहिए "भरी बरसात में भी प्यासा था दिल एक बूँद जो तूने पिलादी कसम से मन को भिगो गई" |आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2012 at 10:16am
आदरणीया राजेश जी,
ह्रदय से भाव सरिता जैसे बह चली, जो भी पढेगा भीगे बिना रह नहीं पायेगा......
इस खूबसूरत रचना के लिए हार्दिक बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2012 at 9:12am

आशीष यादव जी तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2012 at 9:11am

सौरभ जी आपकी टिपण्णी सर आँखों पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2012 at 9:10am

राकेश गुप्ता जी आपके शब्द तो दिल तक पंहुच  गए आपने मेरे शब्दों को सराहा हार्दिक आभार 

Comment by आशीष यादव on July 10, 2012 at 10:46pm

इक आह सी निकल जाती है। बहुत खूब।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2012 at 10:26pm

आपकी कोशिश पर ह्रुदय से बधाइयाँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2012 at 8:16pm

तहे दिल से शुक्रिया आपको ये ग़ज़ल नुमा रचना पसंद आई अलबेला जी बहुत बहुत आभार मेरा लिखना सार्थक हुआ 

Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 8:04pm

एक अनदेखी, अनजानी, अलग सी महक फैलाती इस ग़ज़लनुमा रचना में आपने  बहुत उम्दा पंक्तियाँ कही हैं राजेश कुमारी जी........
आपकी जय हो........

अश्क तो  पलकों में ज़ब्त हो जाते 

  ये सब   हथेली पे  क्यूँ लिए हमने ||

___वाह वाह क्या बात है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service