For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देख कहीं तेरी देहरी सूनी ही न रह जाये माँ

देख कहीं तेरी देहरी 

सुनी ही न रह जाये माँ 
तेरी बेटी को परखने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है..................
 
देख कहीं तेरे सपने 
सपने ही न रह जाये माँ
तेरी बेटी का मौल लगाने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है...............
 
 
संभल जा , बढ़ा ले हिम्मत अपनी
दिल को और थोडा मजबूत कर ले 
लगेगा बाजार अभी तेरे घर पर भी 
लेकिन पहले मेरी कीमत तो तय कर ले 
पूछ ले बाबा से कि अबकी कितना 
मेरा भाव बतायेंगे.........
कर देंगे उनकी मांगो को पूरा
या अपना सिर झुकायेंगे
देख ले कहीं 
इस बार बाबा टूट न जाये माँ 
तेरी बेटी का सौदा करने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है 
देख कहीं.........................
 
कहूँ  क्या मैं  माँ , करू  क्या
कुछ समझ  नहीं  आता 
शिक्षा  जरुरी  है या दहेज़  
कोई  नहीं बताता  ........
कहते  है सब  ये  कि 
हमें  कुछ नहीं चाहिए  
और ले जाते  है सब कुछ लूटकर  वो  लोग
जिन्हें मांगना ही नहीं आता 
देख कही  
ये उम्मीद भी टूट न जाये माँ 
तेरी बेटी से उम्मीद लगाने
उम्मीदर कुछ लोग आ रहे है 
देख कहीं.................
 
याद  है माँ तुम्हे  , एक  दिन  कहा  था  तुमने  
कि अपनी अपनी किस्मत  को खुद  ही लिखना  है 
मिटा   देना  है उन  लकीरों  को अपने  हाथो  से 
जो  गम  और निराशा  से भरी हो.......
जिन्दगी में हर दम बस आगे बढ़ना है 
न तोलना कभी खुद को दौलत की तराजू में 
क्योंकि तुम्हे ही हमारा सम्मान बनना है .......................
 
देखती हूँ आज जब तुम्हारा सम्मान जाते 
तो खुद को ही दोषी पाती हूँ 
देखती हूँ जब दौलत के भूखे लोगो को 
अपना मौल लगते तो 
अपनी शिक्षा का भी मैं मौल लगती हूँ 
देख कहीं 
आज मैं भी हार न जाऊ माँ 
तेरी बेटी की किस्मत का फैसला सुनाने
आज फिर कुछ लोग आ रहे हैं.............
देख कहीं................
 
जुड़ जाये ये उम्मीद अगर 
या मान जाये वो कम कीमत में 
करो विदा जब तुम मुझको घर से माँ 
कर देना मुझे तभी विदा तुम अपने इस दिल से...... 
 
समझा देना तभी दिल को अपने 
जी भर कर तुम रो लेना 
चढ़ जाऊ मैं अगर कल भेंट दहेज़ की 
बस तब तुम आंसू न बहाना 
करे बाबा जब मेरी बाते 
तब  तुम खुद पर काबू रखना 
याद न करना कभी भी मुझको 
न बाबा को याद दिलाना 
रखना हिम्मत शायद कल कुछ बदले 
रीति बदले , या रिवाज बदले 
या शायद इंसान ही बदले 
कुछ न बदला अगर कभी 
तो फिर शायद भगवान ही बदले 
बहुत हुई अब कल की बाते 
चल अब थोड़ी तैयारी करले 
देख कहीं 
कुछ कमी न रह जाये माँ
तेरी बेटी को अपना बनाने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है 
देख कहीं ...............................!!
    

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 1, 2012 at 8:41pm

समाज की विडंबना पर एक बेटी के हृदय के चीत्कार को स्वर देने का प्रयास हुआ है. रचना-कर्म हेतु हार्दिक बधाई.

Comment by AVINASH S BAGDE on July 1, 2012 at 5:34pm

WAH...Sonam saini ji

Comment by AVINASH S BAGDE on July 1, 2012 at 5:31pm

तेरी बेटी को अपना बनाने 

आज फिर कुछ लोग आ रहे है 
--
तेरी बेटी की किस्मत का फैसला सुनाने
आज फिर कुछ लोग आ रहे हैं............
----
तेरी बेटी से उम्मीद लगाने
उम्मीदर कुछ लोग आ रहे है 
----
तेरी बेटी का सौदा करने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है 
----
तेरी बेटी का मौल लगाने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है..........
---
तेरी बेटी को परखने 
आज फिर कुछ लोग आ रहे है.......
----

देख कहीं तेरी देहरी 

सुनी ही न रह जाये माँ 
---------------------
ek sashakt v sateek bhawo ko liye sarthak rachana

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 29, 2012 at 8:29pm

सोनम जी बहुत सुन्दर बहुत मार्मिक लिखा है बहुत कुछ आशान्वित करती है यह कविता की आज की पीढ़ी /लडकियां समाज की इस कुप्रथा का विरोध करने लगी हैं नारी के ही इस कुप्रथा से अहम् को ठेस लगती है उसे ही इस बीमारी को जड़ से उखाड़ना है सामना करना है इसके विरोध में बहुत बहुत बधाई इस लेखन के लिए |

Comment by राज़ नवादवी on June 29, 2012 at 7:12pm

वाह, हमारी सांस्कृतिक विडम्बना और एक भारतीय विवाह-योग्य स्त्री की पीड़ा का उसके ही मुख से मार्मिक चित्रण! 

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 29, 2012 at 4:42pm

वाह क्या बात है, खुबसूरत एहसास

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
8 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
10 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
12 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
17 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service